फौजी _ Hindi Poems Wrote Kishore Dwivedi

 

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फौजी
फौजी जब अन्दर ही अन्दर
घुटता है, सहमता है,
कडी धूप में तपता और
ठंड में ठिठुरता है।
घर से हजारों मील दूर
जब खुद से बातें करता है,
पर्श से निकाली किसी फोटो
पर संवेदना व्यक्त करता है।
मन ही मन टुटता है, बिखरता है,
गिरता है फिर सम्भलता है,
फौजी की जिंदगामी
हर कोई नहीं समझता है।
मौत से सामना जिनका
हर पल रहता है,
फिर भी खुश हूं
एक फौजी ही कहता है।
अपने बच्चों की शरारतें
पत्नी की यादें, मा बाप की बातें
वो जैसे हर पल
अपने आसपास ही सुनता है।
एक फौजी भी दिल रखता है
वो भी सिसकता है।
लेकिन कभी अपने भावों
यूं न जगजाहिर करता है।
ये फौजी है जनाब बस
मां भारती की सेवा में तत्पर रहता है।

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