-◆-तुम कख रेगि-◆-
नेगी दीदा तुम कख रेगि
इन क्या बात ह्वेगी
लगिगे हमते तुम्हारी भोते खुद
तुमते नी चा हमारी क्वे सुद
हमारी यादों मा तुम ही तुम
कीले हुंया छा तुम इन गुमसुम ।।०१।।
तुम्हारी खाणु-पीणु का वो स्वाद
ओणि छे हमते तुम्हारी भोते याद
भुल्या बिसऱयां ते तुम खूब याद करदा
जख भी अपणा मिलदा ह्वेते खूब पूछदा ।।०२।।
हर कखि तुम्हारी अलग ही पछ्यांण
दीदा रे तुम्हारा ओंण से एगी रस्यांण
गों - बजारू मा तुम्हारी ही चर्चा
त्वेते खोजाणु ते छपि मिन कहिं पर्चा ।।०३।।
जिन्दादिली का तुम छन इन्सान
गों-शहरों मा छा तुम्हारी ही शान
तुमते नि छा हमारी क्वे फ़िक़्क़र
हुँन्दी छा हर जग तुम्हारी ही ज़िक़्क़र ।।०४।।
अब तुम त दूर प्रदेशों मा चलिग्या
अपणु काम-धन्धों मा व्यस्त वेग्या
जिंदगी का भाग दौड़ मा दोना छों
दीदा रे तुम त अब हमतें भुली गे छों ।।०५।।
मन का आँख्यों मा तुम्हारी ही सूरत
सालों बीत ग्यायी नि देखी तुम्हारी मूरत
हर केते पुछदु रेन्दू तुम्हारा बारा मा
दीखेन्द त होला तुमते कखि दूर प्रदेशों मा ।।०६।।
हमारी यारी तें हर क्वे जाणदा छा
दोस्ती का मिशाल हर क्वे दीन्दा छा
करदु रेंदु छः मि त हर पल याद तुमतें
तुम त इन भूली गे पल भर मा हमतें ।।०७।।
तुम त इन क्या फुर ह्वेगे यख बटी
तुम्हारी ख्यालों ते मन मा छि संजोयी
आज भी हम छों तुम्हारा जग्वाल मा
इंतजार कना छों तुम्हारा भेंट का अंग्वाल मा ।।०८।।
नेगी दीदा तुम कख रेगि
इन क्या बात ह्वेगी
-●- मौलिक स्वरचित रचना -●-
( दिनेश सिंह नेगी )
पता:- सिंहधार जोशीमठ
जनपद:- चमोली गढ़वाल
( देवभूमि उत्तराखण्ड )
संपर्क सूत्र :- ८१२६६०९४०९
पिन कोड :- २४६४८३
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नेगी दीदा तुम कख रेगि
इन क्या बात ह्वेगी
लगिगे हमते तुम्हारी भोते खुद
तुमते नी चा हमारी क्वे सुद
हमारी यादों मा तुम ही तुम
कीले हुंया छा तुम इन गुमसुम ।।०१।।
तुम्हारी खाणु-पीणु का वो स्वाद
ओणि छे हमते तुम्हारी भोते याद
भुल्या बिसऱयां ते तुम खूब याद करदा
जख भी अपणा मिलदा ह्वेते खूब पूछदा ।।०२।।
हर कखि तुम्हारी अलग ही पछ्यांण
दीदा रे तुम्हारा ओंण से एगी रस्यांण
गों - बजारू मा तुम्हारी ही चर्चा
त्वेते खोजाणु ते छपि मिन कहिं पर्चा ।।०३।।
जिन्दादिली का तुम छन इन्सान
गों-शहरों मा छा तुम्हारी ही शान
तुमते नि छा हमारी क्वे फ़िक़्क़र
हुँन्दी छा हर जग तुम्हारी ही ज़िक़्क़र ।।०४।।
अब तुम त दूर प्रदेशों मा चलिग्या
अपणु काम-धन्धों मा व्यस्त वेग्या
जिंदगी का भाग दौड़ मा दोना छों
दीदा रे तुम त अब हमतें भुली गे छों ।।०५।।
मन का आँख्यों मा तुम्हारी ही सूरत
सालों बीत ग्यायी नि देखी तुम्हारी मूरत
हर केते पुछदु रेन्दू तुम्हारा बारा मा
दीखेन्द त होला तुमते कखि दूर प्रदेशों मा ।।०६।।
हमारी यारी तें हर क्वे जाणदा छा
दोस्ती का मिशाल हर क्वे दीन्दा छा
करदु रेंदु छः मि त हर पल याद तुमतें
तुम त इन भूली गे पल भर मा हमतें ।।०७।।
तुम त इन क्या फुर ह्वेगे यख बटी
तुम्हारी ख्यालों ते मन मा छि संजोयी
आज भी हम छों तुम्हारा जग्वाल मा
इंतजार कना छों तुम्हारा भेंट का अंग्वाल मा ।।०८।।
नेगी दीदा तुम कख रेगि
इन क्या बात ह्वेगी
-●- मौलिक स्वरचित रचना -●-
( दिनेश सिंह नेगी )
पता:- सिंहधार जोशीमठ
जनपद:- चमोली गढ़वाल
( देवभूमि उत्तराखण्ड )
संपर्क सूत्र :- ८१२६६०९४०९
पिन कोड :- २४६४८३
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