बच्यूं रौण चैंद इतगा अंधेरो***Gharwali poem written by Beena Benjwal

 


बच्यूं रौण चैंद इतगा अंधेरो

माणा कि
ये जमाना मा
उज्यळै छ खूब हाम
वेका परताप
रात बि नि रै अब रात
पर बच्यूं रौण चैंद इतगा अंधेरो
जैमा बाळपन तैं दिखयै सक्यो
कथौं कि कुणाबूड
रुमुक पड़ण पर
जो बौड़ौ घौर
भैरा उज्यळै ना पड़ण द्यो
इतगा आदत
कि ऐन बग्त पर
हम बिसरि जौंन
कि हमारा भितर बि
रैंदि छै अगिनडब्बी
वख बि जगदा छा छिल्ला
अर हम बि जाणदा छा
भैल्लो बणौणो सल्ल।

©®
बीना बेंजवाल
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