हेर धौं
दिल का दंदोलू कु कखि क्वी छोर नी
मन का मन्यूलौं कि कभी क्वी भोर नी
जिकुड़ा गठेयां जु स्वीणा दिलौ च दिलासू
रात्यूं बेलमौंदा रांदा वु सुबेरयू कु अभरोंसू
चरखा जिंदगीम जु घुमदी रेंदन सदानी
कभी कचमोड़दा कभी लगदा वु क्यापणी
रात दिनै ठिसा मिसीम होंणी दिन कटाई
मनखी चोला भेद इनमा कैन भी नी पाई
दिन बीत्या मैना बीत्या बीत्या देखदै साल
दिनौ दिन काया ढलणी ह्वेगी कुबड़चाल
ज्वानी की उमंग मा स्वीणौं की मतंग मा
कटेणी या जिंन्दगी अजाणै अजणदी मा
मनखी चोला मिल्यूं बुद्धी विवेक साथ मा
किलै ह्वालु रम्यूं यीं छलेरा सी माया मा
करमगत अपणी च सतपथ चूचा हेर धौ
देर च अंधेर नी विधाता लिख्यां गूण धौं।।
रचनाकार :- CR
भगवती जुयाल गढदेशी
*समलौंण*
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दिल का दंदोलू कु कखि क्वी छोर नी
मन का मन्यूलौं कि कभी क्वी भोर नी
जिकुड़ा गठेयां जु स्वीणा दिलौ च दिलासू
रात्यूं बेलमौंदा रांदा वु सुबेरयू कु अभरोंसू
चरखा जिंदगीम जु घुमदी रेंदन सदानी
कभी कचमोड़दा कभी लगदा वु क्यापणी
रात दिनै ठिसा मिसीम होंणी दिन कटाई
मनखी चोला भेद इनमा कैन भी नी पाई
दिन बीत्या मैना बीत्या बीत्या देखदै साल
दिनौ दिन काया ढलणी ह्वेगी कुबड़चाल
ज्वानी की उमंग मा स्वीणौं की मतंग मा
कटेणी या जिंन्दगी अजाणै अजणदी मा
मनखी चोला मिल्यूं बुद्धी विवेक साथ मा
किलै ह्वालु रम्यूं यीं छलेरा सी माया मा
करमगत अपणी च सतपथ चूचा हेर धौ
देर च अंधेर नी विधाता लिख्यां गूण धौं।।
रचनाकार :- CR
भगवती जुयाल गढदेशी
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