हेर धौं****** Grhwali Poetry wrote by Bhagwati Juyal

 


हेर धौं

दिल का दंदोलू कु कखि क्वी छोर नी
मन का मन्यूलौं कि कभी क्वी भोर नी

जिकुड़ा गठेयां जु स्वीणा दिलौ च दिलासू
रात्यूं बेलमौंदा रांदा वु सुबेरयू कु अभरोंसू

चरखा जिंदगीम जु घुमदी रेंदन सदानी
कभी कचमोड़दा कभी लगदा वु क्यापणी

रात दिनै ठिसा मिसीम होंणी दिन कटाई
मनखी चोला भेद इनमा कैन भी नी पाई

दिन बीत्या मैना बीत्या बीत्या देखदै साल
दिनौ दिन काया ढलणी ह्वेगी कुबड़चाल

ज्वानी की उमंग मा स्वीणौं की मतंग मा
कटेणी या जिंन्दगी अजाणै अजणदी मा

मनखी चोला मिल्यूं बुद्धी विवेक साथ मा
किलै ह्वालु रम्यूं यीं छलेरा सी माया मा

करमगत अपणी च सतपथ चूचा हेर धौ
देर च अंधेर नी विधाता लिख्यां गूण धौं।।

रचनाकार :- CR 

भगवती जुयाल गढदेशी
*समलौंण*
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