यो मेरा डाना काना****** Grhwali Poetry wrote by Bhagwati Juyal

 


यो मेरा डाना काना

यो मेरा डाना काना छीं बगी पहाड़े शान
टेडा मेडा ऊंचा निशा बाठा छीं पछाण
यो भलो मुल्क मेरो जख देबतों का थान
धौली गंगा भगीरथ्यू पावन संगम स्नान
पाप्यूं का पाप हरदा करी यख देव दर्शन
तीर्थू मा तीर्थ च देव भूमी या मेरी महान
गढदेशी भी धन्य ह्वेगी लेकि यख जनम
हे मातृ भूमी त्वे कू कदू सत सत नमन
रौ रिवाज संस्कार रौन बच्यां दिलम दंदोल
दुधा बोली ओंठड़यूं रौ सभूवी वु बोल
धर्मयलि गयलि मयलि च हमरी दुधा बोली
गढभूमी गढदेश की पछाण हमरि बोली
सौ श्रृंगार बिधाता इन दुनियां ढौली औंदी
तीर्थू कु पुण्य लेकि हरिद्वार नये की जांदी
पंच्च छी प्रयाग यख पंच्च छिन बद्री केदार
कुंम्भ स्नान पवित्र पावन हरी का हरिद्वार
नमन करा बंदन गावा यख जौन जन्म लेई
जन्मान्तरा पाप कटेंदा मनखि जोन पाई
गढदेशी कू पराण रिंगणू यूं डांडी कांठ्यूं मा
नि बिसरेंद जलमभूमी गोया लगै जै माटा मा।।

रचनाकार :- CR भगवती जुयाल गढदेशी
*समलौंण*
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