ब्वे यकूली घौर मा
मां
सैंती पाळी ज्वान बणायीं जै गौं गुठ्यार मा तू।
कन छोड़्याली त्वेन बाबा ,फुंड्येई जै माटा मा तू।
पढ़ै लिखै,होण्यां खाण्यां बणांयी, यक्खी ये खारा माटा मा।
पर कनी शिक्षा लिनी त्वेन बाबा, जु छोड़्याल्यां हम अधबाटा मा।
रखलू हमारा संस्कारु कू मान,पर शिक्षा दिक्षा त्वेकू दूर लीग्ये।
मंगसीरा मैना ल्यायीं ब्वारी, स्या द्वी मैना मा प्रदेश चली ग्ये।
खाणू,स्योणु,लाणु,ओढणु, सब खरीदी ल्योणा छां।
किलै रचाई या महिमा हमुन,जु किराया पर तुम रौणां छां।
ज्वानी कू छलार च जबतक,घूमी ल्या तैं चखल पखल मा।
देवी-देवतौं का थान सजौंण,औण पड़लू अथाकळ मा।
काम धाम स्ये फुरसत मिली जाली, हम थै भी याद कर्यन वा...मेरु नात्ती मिन फोटू मा ही देखी,ऐंसू मिलणा क आयां हां।
बेटा
बारामास पुंगड़ियों मा धाण, तौं हाड्ग्यों छै तुणाणीं मां।
रासण औंणी सैडी दुकानिन,किलै छै पुंगड़्यों मा मोरणी मां।
देवता पूजी पूजी थकी ग्यों,आखिर क्य च धरयूं तै पहाड़ मा।
सैत जरा कक्खी बच्यूं सच्यूं छौ, स्यू भी ऐगे तैं दारू की आड़ मा।
ब्वारी मेरी नया मॉडर्न की,ईन त रौंण हमेशा मेरा गैल मां।
अरे तू कम से कम अनपढ़ त छै,या सगत पढ़ी लिखीं गंवार मां।
कसूर त मेरु भी काफी च मांजी,जु नी व्हे सक्युं तै पहाड़ कू,ब्यों भी मिन पसंदौ करी,नी राखी मान ब्वे बाबू कू।
बेटी बिवौंण पर खूब र्वे तू,,खाणू नी खै वींकी याद मा, बेटा भी दूर व्हे जांदू एक दिन,तिन जरा भी खयाल नी कैरी मां।
जन बूतला तन्नी काटला,य त लाखड़ा पर सुलगी आग चा।
जगी तै पिछने ही औंण यीन,तुम कैं घंघतोळ मा पड्यां छा।
लक्ष्मण सिंह बर्तवाल
ग्राम-पल्या पटाला,
पो.ऑ. घंडियालधार,लोस्तु
टिहरी गढ़वाल,उत्तराखण्ड।
#लक्ष्मण_सिंह_बर्तवाल #पौड़ी_गढ़वाल #टेहरिगढ़वाल #uklaguli #posts #poet #kumaoni #worlpoetry #indian #Poetry #utter #UKLaguli #india #gharwalipoems #video #poems #Ghrwali #gharwali #instagram #Youtube #facebookpost #uttrakhand
मां
सैंती पाळी ज्वान बणायीं जै गौं गुठ्यार मा तू।
कन छोड़्याली त्वेन बाबा ,फुंड्येई जै माटा मा तू।
पढ़ै लिखै,होण्यां खाण्यां बणांयी, यक्खी ये खारा माटा मा।
पर कनी शिक्षा लिनी त्वेन बाबा, जु छोड़्याल्यां हम अधबाटा मा।
रखलू हमारा संस्कारु कू मान,पर शिक्षा दिक्षा त्वेकू दूर लीग्ये।
मंगसीरा मैना ल्यायीं ब्वारी, स्या द्वी मैना मा प्रदेश चली ग्ये।
खाणू,स्योणु,लाणु,ओढणु, सब खरीदी ल्योणा छां।
किलै रचाई या महिमा हमुन,जु किराया पर तुम रौणां छां।
ज्वानी कू छलार च जबतक,घूमी ल्या तैं चखल पखल मा।
देवी-देवतौं का थान सजौंण,औण पड़लू अथाकळ मा।
काम धाम स्ये फुरसत मिली जाली, हम थै भी याद कर्यन वा...मेरु नात्ती मिन फोटू मा ही देखी,ऐंसू मिलणा क आयां हां।
बेटा
बारामास पुंगड़ियों मा धाण, तौं हाड्ग्यों छै तुणाणीं मां।
रासण औंणी सैडी दुकानिन,किलै छै पुंगड़्यों मा मोरणी मां।
देवता पूजी पूजी थकी ग्यों,आखिर क्य च धरयूं तै पहाड़ मा।
सैत जरा कक्खी बच्यूं सच्यूं छौ, स्यू भी ऐगे तैं दारू की आड़ मा।
ब्वारी मेरी नया मॉडर्न की,ईन त रौंण हमेशा मेरा गैल मां।
अरे तू कम से कम अनपढ़ त छै,या सगत पढ़ी लिखीं गंवार मां।
कसूर त मेरु भी काफी च मांजी,जु नी व्हे सक्युं तै पहाड़ कू,ब्यों भी मिन पसंदौ करी,नी राखी मान ब्वे बाबू कू।
बेटी बिवौंण पर खूब र्वे तू,,खाणू नी खै वींकी याद मा, बेटा भी दूर व्हे जांदू एक दिन,तिन जरा भी खयाल नी कैरी मां।
जन बूतला तन्नी काटला,य त लाखड़ा पर सुलगी आग चा।
जगी तै पिछने ही औंण यीन,तुम कैं घंघतोळ मा पड्यां छा।
लक्ष्मण सिंह बर्तवाल
ग्राम-पल्या पटाला,
पो.ऑ. घंडियालधार,लोस्तु
टिहरी गढ़वाल,उत्तराखण्ड।
#लक्ष्मण_सिंह_बर्तवाल #पौड़ी_गढ़वाल #टेहरिगढ़वाल #uklaguli #posts #poet #kumaoni #worlpoetry #indian #Poetry #utter #UKLaguli #india #gharwalipoems #video #poems #Ghrwali #gharwali #instagram #Youtube #facebookpost #uttrakhand
See less
— in India.
0 टिप्पणियाँ