अभि छैंच छक्वै ***Grhwali Poetry/Garhwali Gajal wrote by Payash Pokhara

 


अभि छैंच छक्वै
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आंखि खोल,
नज़र फोळ,
द्यखणा खुणै अभि छैंच छक्वै ।
पाटि घुट्यो,
ब्वळ्ख्या उठो,
लिखणा खुणै अभि छैंच छक्वै ।।
डैर ना पंद्यरा,
बिसिगि जाला
आंखि मूंज,
आंसु फूंज,
ब्वगणा खुणै अभि छैंच छक्वै ।।
गीड़ा,पीड़ा,सीड़ी,
आगास फर लगौ,
जांठि तोड़,
ट्यक्वा छोड़,
ट्यकणा खुणै अभि छैंच छक्वै ।।
ह्यूंदा का ह्यूं खुणै,
रूड़ि को सूरज लिमा,
ताति देख,
निवति सेक,
स्यकणा खुणै अभि छैंच छक्वै ।।
जिंदगि चौबट्टों मा,
बिरड़ि नि जा,
सैदि लगौ,
भेद बतौ,
ख्वजणा खुणै अभि छैंच छक्वै ।।
जिमेदर्यूं का बिठगा,
कांध दीण प्वाड़ली,
जर्रा ह्वैगिं,
घर्रा ह्वैगिं,
ब्वकणा खुणै अभि छैंच छक्वै ।।
पैलि तोलि ल्हे,
फेरि बोलि ल्हे,
बात बिंगौ,
छुवीं लिमौ,
ब्वलणा खुणै अभि छैंच छक्वै ।।
भला बुरा करम
'पयाश' अग्नै,
पुन कमौ,
जून बचौ,
भ्वगणा खुणै अभि छैंच छक्वै ।।
©® पयाश पोखड़ा

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