आँखों में जिनके आंसूं***Hindi poem written by Balkrisna D. Dhyani

 


आँखों में जिनके आंसूं

समय जीवन को
बहुत कुछ सिखाता है
जो समय सिखाता है ना
वो कोई नहीं सिखा पाता

अपने को रोज
बहुत सारी आंखें देखती है
पर ध्यान में वो ही रह जाती है
जो देखकर अनदेखा कर जाती है

इंसानों की दुनिया में
ना जाने कितने दिन और रहेंगे
यहां से जाते समय लेकिन कईयों के
दिल में घर कर जायेंगे

हाथ में स्मार्ट फोन होना
आज के समय की जरूरत है
वैसे ही सब के टच में रहना
अच्छे जीवन के लिए बहुत जरूरत है

घमंडी व्यक्ति को
उस का अहम कभी नहीं दिखता
जैसे दीपक को भी
उसके तले अन्धेरा नहीं दिखता

वो ही असली जिंदगी है
जो हरदम खुशहाल रहे
एक संकट गुजर जाए तो
दूसरे के लिए तैयार रहे

ना किसी से तुलना
ना किसी से राग द्वेष
अपने लक्ष्य का पीछा करना
मन लगाकर करते रहना

आँखों में जिनके ना आंसूं
उन के दर्द को पहचानों
उनकी हंसी के ठहाके संग
तुम भी अपना दर्द भुला दो

बालकृष्ण डी. ध्यानी

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