हम ही ढूंढ लाते हैं**Hindi poem written by Balkrisna D. Dhyani

 


हम ही ढूंढ लाते हैं

हम ही ढूंढ लाते हैं
वो जो आंसूं यूँ ही बह जाते हैं
किसे हो ना फ़िक्र उनकी
गर फ़िक्र मिले उनको
वो क्या से क्या कर जाते हैं
हम ही ढूंढ लाते हैं

अकेला कैसे रहना पता है हमें
पर अकेला उन्हें नहीं छोड़ पाते हैं
बंधी है डोर कुछ उन संग ऐसी
खींचे खुद ब खुद
उन पास चले जाते हैं
हम ही ढूंढ लाते हैं .......

कुछ खालीपन ऐसा है हम में
पास आते ही वो भर जाता है
कमियां बहुत सी है हम में
यूँ ही मिलजुलकर
हम दूर करते रहते हैं
हम ही ढूंढ लाते हैं .......

हम ही ढूंढ लाते हैं
वो जो आंसूं यूँ ही बह जाते हैं
किसे हो ना फ़िक्र उनकी
गर फ़िक्र मिले उनको
वो क्या से क्या कर जाते हैं
हम ही ढूंढ लाते हैं

©® बालकृष्ण डी. ध्यानी

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