जय हो माँ मानिला भवानी***Hindi poem written by Dr. Santosh Kandpal

 


जय हो माँ मानिला भवानी
ठण्डी हवा ठण्डो पाणी एति ठण्डी छाया
भक्त त्यरा गुण गहानी द्वार जो त्यर आया
तू रैंछे माँ डना-खानी भक्त तेरी कथा सुणानी
शक्तिपीठ तेरि पछ्याण तेरी महिमा अपार बतानी
जय हो माँ मानिला भवानी
डुट्याव और रोईखावक बीच त्यर थान
भक्त त्यरा गुण गहानी करैनी सम्मान
मन्दिरका मुख सामणी देख्यूँछा पूनाकोट
मन्दिरका पुठ पिछाड़ी देख्यूँछा कनकोट
त्यर थानक इथाँ-उथाँ बाँज और बुराँशका जंगल
जो लै त्यरा द्वार आनी करीछै तू सब लोगोंक मंगल
जय हो माँ मानिला भवानी
त्यरा थाना दिय जलौंला चड़ौंला पूव और कसार
तू सबुकैं खुशि रखिये यौ छा हम सबुकि पुकार
त्यरा थाना ऐबेर हमर हनी सिद्ध सबै द्द्वटा ठुला काम
हमूकणि यस लागोंछा यात्रा हमुल करिहै चारों धाम
जय हो माँ मानिला भवानी
रुड़ि ह्योंना बल चैत बैशाखा जेठ और चौमास
भक्त तेरि पूजा कहोंणि आनी त्यरा द्वार बारोंमास
बॉंज-बुराँशकि ठण्डी हवा और ठण्डो पाणी
तू रैंछै माँ डना-खानी भक्त तेरी कथा सुणानी
जय हो माँ मानिला भवानी
जसै एति घाम लागोंछा वसै लागोंछ जाड़
ठिक सामणी एति देखिंछा केदारकि गाड़
अंगूठक निशान त्यरा गवैमजी चड़ीरैछा माला
त्यरा दैण तरफा ठिक सामणी उत्तर हिमाला
जय हो माँ मानिला भवानी
डॉ. सन्तोष काण्डपाल
मानिला (अल्मोड़ा) उत्तराखण्ड

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