जय श्री राम🙏***Hindi poem written by Mahendra Bhandari,

 


जय श्री राम🙏

हे रघुनंदन ,
है अभिनंदन,
अन्तर्मन से कोटि‌-२ बंदन ।
तुम ही बिधि हो ,
तुम ही बिधान हो ,
तुम ही भाग्य विधाता ,
तुम ही सुख दाता ,
तुम ही हो जीवन दर्शन ।
तुम ही मनन,
तुम ही चिंतन ।
अन्तर्मन से कोटि -२ बंदन ।।
धर्म सिर्फ एक है ,
जिसका इरादा नेक है ,
वो सनातन है ,
सबसे पुरातन है।
बाकि सब पंथ हैं ,
बेद पुराण में तंत है ।।
बस एक ही लगन है ।
अन्तर्मन से बंदन है ।।
सब में राम ,
जग में राम ,
पाप मुक्त हो ,
हर चाह हो निष्काम ।
राम अविरल हैं ,
हैं अविराम।।
बस स्मरण रहे प्रभु ,
आपका भजन ।
अन्तर्मन से कोटि-२ नंमन।।
तुम घट -२ के वासी ,
तुम राजा तुम वनवासी ।
तुम‌ स्मरण तो दूर हर उदासी ।।
शस्य श्यामला देह कंचन ।
अन्तर्मन से कोटि -२ नमन ।।
राम आदि हैं अनंत है ,
जग का तो कहीं ना कहीं अंत है ।
मगर जो सच्चे भाव से संत है ,
वो अजर अमर अनंत है ।।
यही सार यही जीवन दर्शन ।
अन्तर्मन से कोटि -२ बंदन ।।
हे रघुनंदन ,
है अभिनंदन।
अन्तर्मन से कोटि -२ बंदन ।।

@ महेन्द्र भंडारी "अलबेला"

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— feeling blessed in Universe.

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