जस्टिस फ़ॉर अंकिता भंडारी***Hindi poem written by Pradeep Singh Bisht

 


जस्टिस फ़ॉर अंकिता भंडारी

एक छोटे से गाँव से शहर में
आयी काम की थी तलाश
माँ बाप की उम्मीद थी
हमारी बेटी करेगी कुछ ख़ास
न जाने क्या हुआ

वह ग़लत ग़लत लोगों की आ गई हाथ
न झेल पायी उन दरिंदों को न कर पायी
ज़िंदगी के अध्याय को पास छोड़कर चली गई
माँ बाप को कर दिया निराश

आओ हम मिलकर बहन के अंकिता लिए आवाज़ उठाए
उन दरिंदों को फाँसी की सजा दिलाए
ना आने वाले कल को कोई ऐसा फ़ायदा उठाएँ
आओ हम मिलकर बहन अंकिता
को न्याय दिलाए

जस्टिस फ़ॉर अंकिता
जस्टिस फ़ॉर अंकिता चिलाए ....२

प्रदीप सिंह बिष्ट
गाँव का नाम
डांडा भंसकोट ( खसपट्टी माँ चंद्रबदनी )
राजनीति विज्ञान ( म.ए.)
पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़
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