पहाड़ में सर्द हवाओं का आगाज़ ***Hindi poem written by Sumit Singh Negi

 


पहाड़ में सर्द हवाओं का आगाज़
शरद ऋतु कि सर्द हवाओं कि किर-क्री ठंड आई है मेरे पहाड़ में,
बदलो ने भी गुलदस्ते खुब सजाए है पहाड़ में
चाय कि केतली भी उभल कर गुडबुक-गुडबुक कर रही है मेरे पहाड़ में,
एक प्याला आपके लिए भी इंतज़ार कर रहा है मेरे पहाड़ में
गुन-गुनी धूप और बादलो का गुलदस्ता सजाया है पहाड़ ने ,
और एक फरमान जारी किया है पहाड़ ने की कब आओगे इस मखमली प्रकृति के आगोश मे।
कि समेट लेना पल भर की यादें छण भर की खुशियां मे
और देख लेना प्रकृति का शृंगार पहाड़ में।
ले के जाना अपने साथ पहाड़ कि अच्छी यादें
और अगली बार के लिए निमंत्रण पत्र और फरमान
साथ ले जाना बिदाई का मिष्ठान -रोट आर्सा, भालूशाही, सिगोरी, कुछ खटे-मीठे पकवान।
बस एक बात का रखना तुम ध्यान प्लास्टिक, खाली बोतलो से प्रकृति को मत पहुंचना तुम नुकसान।
©®सुमित सिंह नेगी
ग्राम- डांगू चमोल
गांव नरेंद्र नगर
टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड
उत्तराखंड की लगूली
UKLaguli

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