यह कैसा नववर्ष***** Hindi Poetry By Dheeraj Gusain

 


यह कैसा नववर्ष

शुभ हो नूतन वर्ष आपको
पर कैसी यह नव शुरुआत
जड़ है सारी चेतन प्रकृति
नंही कंही कोई शुरुआत

यह तो मरघट है जीवन का
अंत समय अंतिम आयाम
रूखा है सब सूखा है सब
यह तो शीतल शिशिर प्रगाढ़

कृष्ण पक्ष है तिमिर घना है
शिथिल गति का फंद पड़ा है
चहुं दिशा में घोर विषाद
फिर कैसा यह नवल प्रभात

फिरभी मंगलमय नया वर्ष हो
पर चहुंओर है हाहाकार
रूखी रूखी हुई धरा यह
फिर कैसे हो नव शुरुआत

कंपकंपाती शरद रात है
सुन्दर संध्या बनी रात
ढलता सूरज क्षितिज बिंदु पर
शीघ्र बैठता तिमिर ध्वांत

©® धीरज गुसाईं
ग्राम मरखोला,
पोस्ट आफिस चम्पेश्वर,
पौड़ी गढ़वाल

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