शरद आगमन *****Hindi Poetry wrote by Dheeraj Gusain

 


शरद आगमन

शीतल गिरी पर गिर आयी
शरद शीत सर चढ़ आयी
गगन घेरते मेघों के दल
गिरता शीतल वर्षा का जल

चांदी सा गिरीराज चमकता
निशा कौमुदी उस हिमकर की
पाले से लिपटी उजली सी
ज्यों पथ पर बिखरे मोती

सर सर सुई सम समर बही
अंग-अंग जो भेद गयी
रोम-रोम कंपित करके
विहँस गयी तन पे तनके

झड़े पात कुछ रूक्ष गाछ की
खिले फूल गुलदावदी दमकी
अपत कंटीली शिशिर ऋतु में
खिली हुई वह देह तान कर

चाय की प्याली में डूबा
आग सेंकता मस्त बुढ़ापा
वृद्ध शिशिर को वृद्ध कोसते
मन ही मन में हंसता जाड़ा

©® धीरज गुसाईं
ग्राम मरखोला,
पोस्ट आफिस चम्पेश्वर,
पौड़ी गढ़वाल

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