माया कु मसाण (हास्य कविता) ***** Grhwali Poetry wrote by Anjali Rawat,

 


माया कु मसाण (हास्य कविता)

क्वी बुनू मतलबी ह्वेगी,
त् क्वी बुनू बोल्या ह्वेगी....

मतलबी त् छौं हुयूं वींकी माया मा..
वींका अलावा कुछ सुच्यांदू नी्
वींकी याद मा् दिन भर गुम-सुम वेकी रांदू,
दग्डि्या बुल्दिन घमंडी ह्वेग्या, यु अब हमसे नि् बच्यांदू।

माया कु मसाण लगि्यूच्च..
वींकी माया कु उच्याणू धरि्यूच्च,
सुपन्या भी वींका सजाणु रेंदू यु मन्न...
जियून्दू ह्वेकी भि् इन् लग्दु मि् वींकी माया मा जियून्दू दफन्न।

क्वा ऋतु ए-गै वींकी माया मा् सब बसंत हुयूं च्,
लोग बुल्दिन छल्लै ग्या यु ये पर मसाण लग्यूंच।
न् पता क्या दिन क्या रात क्या जाड्डू...
निर्भगि् वींकू मसाण न् मुर्गा मंग्दु ना् खाड्डू।

©® अंजलि रावत
गौं तिमली पौडी गढ़वाल
उत्तराखंड

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