बगत***Grhwali Poetry/Garhwali Gajal wrote by Payash Pokhara

 


गज़ल
*****
बगत

सोरग कख जयेंद बल बिना अफु म्वर्यां ।
पर जिंदगि मील हमथैं बिना कुछ कर्यां ।।

लगा लगदै सब डुंडका बलड़ा तोड़िगीं ।
खिसयां बैठ्यां रै ग्यौं हथ मा हथ धर्यां ।।

खौळीं जिंदगि को पराण फटगरै ग्याई ।
हैंसदि मुखड़ि अर आंसु आंखम भ्वर्यां ।।

बिटोळि बिटोळिक निंद हर्च आंख्यूंम ।
छ्वाड़ बटै छ्वाड़ सुपिन्या छन स्वर्यां ।।

घाम आंदै अफुथैं अंध्यरौं म ग्वटै दींदि ।
लोग बल अपणै छैल देखकै छन डर्यां ।।

क्यांकि कै बै छे वूथैं माया लगाणा की ।
अक्का बकी मा वो राजपाट छन हर्यां ।।

बगत दगड़ हिटणा धौ छौ 'पयाश' पर ।
हमरा सबि दिन रात तुमरा छन च्वर्यां ।।

©® पयाश पोखड़ा

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