पुरणु साल***Grhwali Poetry/Garhwali Gajal wrote by Payash Pokhara

 


गज़ल
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पुरणु साल

धौ संदकै पुरणु साल अपणा दिन पुर्याणु चा |
अर नयो साल अभि बटैकि आंखा घुर्याणु चा ||

अभि त बूढ-बुढ्या खंसणा छन उभरा भितरौं |
अर नयो साल अभि बटैकि कूणों कुर्याणु चा ||

म्यारा गबरू का नै-नै दाड़ी जूंगा जमणा छन |
अर नयो साल अभि बटैकि ज़िकुड़ा झुर्राणु चा ||

मेरि पितरौं की जौ-जागा की पौ पखणी राया |
अर नयो साल अभि बटैकि हमथैं हुर्याणु चा ||

बांजि पुंगड़ियूं थैं चल्दू करणा को प्रस्तौ अयूं |
अर नयो साल अभि बटैकि मीफर गुर्याणु चा ||

'पयाश' कौथिग को एक साल हौरि थकथै गे |
अर नयो साल अभि बटैकि थौळ उर्याणु चा ||

©® पयाश पोखड़ा

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