गज़ल
*****
आदिम
कभि त्वै दगड़ कभि मी दगड़ नाराज च आदिम ।
कभि याद कभि भटुळि कभि पराज च आदिम ।।
मनख्यूं मा मनख्यूं थैं मनखि बिराण लग्यां छन ।
कभि द्यप्ता कभि राजा कभि माराज च आदिम ।।
अपणा-अपणा भितर बंद हुयां वो भैर नि आंदा ।
कभि ताळु कभि दर्वजु कभि दराज च आदिम ।।
मनख्यात मनस्वाग ह्वैगे अजकाल मनख्यूं मा ।
कभि लुक्युं सि कभि भजणि-भाज च आदिम ।।
अजकाल बंसुळि भोळ परबात पिंपरी बजाणा ।
कभि तुमारु कभि हमारु साज-बाज च आदिम ।।
हाथ हैळ ना मुठ्ठि मा बीज अर पुंगड़ियूं का बीच ।
कभि बेगार कभि बेकार काम-काज च आदिम ।।
अणब्वल्या औळण्या जानाजात जयूं बीत्यूं चा ।
कभि लौबाणि को कभि निरजि राज च आदिम ।।
गिच्चु समाळिक बोलि 'पयाश' जणचारेक बोल ।
कभि दथुड़ि-थमळि कभि मिखराज च आदिम ।।
©® पयाश पोखड़ा
#uklaguli #intgram #उत्तराखंड #facebook #reel #youtube #twitter #blogger #utterakhand #shorts #post #gharwal #poem #पौड़ी_गढ़वाल #उत्तराखंड_लगूलि #उत्तराखंड_लगूलि #पयाश #posts #poet #indian #Poetry #utter #UKLaguli #Ghrwali #gharwali #instagram #Youtube #facebookpost #uttrakhand #पयाश_पोखड़ा
*****
आदिम
कभि त्वै दगड़ कभि मी दगड़ नाराज च आदिम ।
कभि याद कभि भटुळि कभि पराज च आदिम ।।
मनख्यूं मा मनख्यूं थैं मनखि बिराण लग्यां छन ।
कभि द्यप्ता कभि राजा कभि माराज च आदिम ।।
अपणा-अपणा भितर बंद हुयां वो भैर नि आंदा ।
कभि ताळु कभि दर्वजु कभि दराज च आदिम ।।
मनख्यात मनस्वाग ह्वैगे अजकाल मनख्यूं मा ।
कभि लुक्युं सि कभि भजणि-भाज च आदिम ।।
अजकाल बंसुळि भोळ परबात पिंपरी बजाणा ।
कभि तुमारु कभि हमारु साज-बाज च आदिम ।।
हाथ हैळ ना मुठ्ठि मा बीज अर पुंगड़ियूं का बीच ।
कभि बेगार कभि बेकार काम-काज च आदिम ।।
अणब्वल्या औळण्या जानाजात जयूं बीत्यूं चा ।
कभि लौबाणि को कभि निरजि राज च आदिम ।।
गिच्चु समाळिक बोलि 'पयाश' जणचारेक बोल ।
कभि दथुड़ि-थमळि कभि मिखराज च आदिम ।।
©® पयाश पोखड़ा
#uklaguli #intgram #उत्तराखंड #facebook #reel #youtube #twitter #blogger #utterakhand #shorts #post #gharwal #poem #पौड़ी_गढ़वाल #उत्तराखंड_लगूलि #उत्तराखंड_लगूलि #पयाश #posts #poet #indian #Poetry #utter #UKLaguli #Ghrwali #gharwali #instagram #Youtube #facebookpost #uttrakhand #पयाश_पोखड़ा
See less
— in India
0 टिप्पणियाँ