समर्पित कुछ पंक्ति आपके अनुज
रबि रावत की ,,



हाय रे ! कितना बदल गया जमाना बनाम इंसान,,
हाय रे! कितना बदल गया जमाना बनाम इंसान ,,
हम आपके पूर्वज कोदा-कापला कंडाली खा के पत्थरों से ज्यादा मजबूत थे जहाँ,,
आज इंसान बाजारी मिलावटी खाने से सूखे पत्तों की तरह कच्चा हो गया इंसान ,,
हाय रे! कितना बदल गया जमाना बनाम इंसान
हाय रे!...........
जहाँ हम आपके पूर्वज पारम्परिक रीति-रिवाजों व् धार्मिक आस्था में कायम थे ,,
वहीं आज भूल चला सारे रश्मों-रिवाजों को इंसान,,
हाय रे! कितना बदल गया जमाना बनाम इंसान,
हाय रे !..........
जिस खेती -वाड़ी से हम आपके पूर्वजों ने 15,18 सदस्यों वाला परिवार पाला ,,
उसी खेती-वाड़ी से आज 15,18 दिन की राशन पैदा करने को मोहताज़ है इंसान ,,
हाय रे! कितना बदल गया इंसान बनाम जमाना ,
हाय रे ! .............
जिन गाय-भैसों से हम आपके पूर्वजों के दूध ,दही व् घी के भंडार भरे रहते थे सदैव ,,
आज उन्ही गाय-भैसों के दूध ,दही व् घी का मोहताज बना है इंसान,
हाय रे! कितना बदल गया जमाना बनाम इंसान ,
हाय रे!.........,
उस वक़्त की 100 रु ने हम आपके पूर्वजों के सारे खर्चे पूर्ण किये थे ,
और आज उन्ही खर्चों के लिए लाखों रु होने पर भी खर्च करने को मोहताज़ है इंसान,,,
हाय रे! कितना बदल गया जमाना बनाम इंसान ,,
हाय रे ! ...............….,
वो वक़्त अर दौर था जहाँ इंसान-इंसान की मदद करता था इंसान,,,
और ये वक़्त व् दौर ऐसा बीत रहा जहाँ जलता हर इंसान से इंसान,,,
हाय रे! कितना बदल गया जमाना बनाम इंसान,,
हाय रे !.............,
हम आपके पूर्वजों ने जहाँ भौतिक सुख सुविधाओं के अभाव में जिए वहीं सदैव निरोग व् हुष्ट-पुष्ट के साथ स्वस्थ रहे,,,
लेकिन आज भौतिक सुख-सुविधाओं ने परिपूर्ण तो किया इंसान साथ में दी हजारों बीमारी जिनका भंडार बना हर इंसान,,,
हाय रे ! कितना बदल गया जमाना बनाम इंसान,
हाय रे ! ................,
तब हम बड़ी थी पूर्वजों के पास अपनों को साथ लेकर अपने पन्न की तो पीढ़ियां खूब पनप बैठी ,,,
और आ ज़ हम बड़ी है अपने व्यक्तिगत जीवन से व्यक्तिगत स्वार्थ से तो पीढ़ियों को पनपाने का मोहताज बना है इंसान,,,
हाय रे ! कितना बदल गया जमाना बनाम इंसान ,,,
हाय रे !.................,
हम आपके पूर्वजों ने शादी व्याह किये पूर्ण हिदू रश्म व् पैतृक रिवाजों से तो हर रिश्ता कायम रहा ,,
और आज़ जब शादी व्याह की रश्मों ने दिखावे पन्न अपना लिया भूल कर पैतृक रश्मों को तो रिश्ते कायम रखने का मोहताज बन बैठा है इंसान,,
हाय रे! कितना बदल गया जमाना बनाम इंसान,,
हाय रे ! .........
आपका अनुज
।।
राधे रविन्द्र रावत (RRR)
रुद्रप्रयाग जखोली विकास खण्ड का
सुदूरवर्ती क्षेत्र बाँगरपट्टी कु मुन्याँघर रैबासी,
जय श्री राधे, जय वासुदेव

..........
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रबि रावत की ,,




हाय रे ! कितना बदल गया जमाना बनाम इंसान,,
हाय रे! कितना बदल गया जमाना बनाम इंसान ,,
हम आपके पूर्वज कोदा-कापला कंडाली खा के पत्थरों से ज्यादा मजबूत थे जहाँ,,
आज इंसान बाजारी मिलावटी खाने से सूखे पत्तों की तरह कच्चा हो गया इंसान ,,
हाय रे! कितना बदल गया जमाना बनाम इंसान
हाय रे!...........
जहाँ हम आपके पूर्वज पारम्परिक रीति-रिवाजों व् धार्मिक आस्था में कायम थे ,,
वहीं आज भूल चला सारे रश्मों-रिवाजों को इंसान,,
हाय रे! कितना बदल गया जमाना बनाम इंसान,
हाय रे !..........
जिस खेती -वाड़ी से हम आपके पूर्वजों ने 15,18 सदस्यों वाला परिवार पाला ,,
उसी खेती-वाड़ी से आज 15,18 दिन की राशन पैदा करने को मोहताज़ है इंसान ,,
हाय रे! कितना बदल गया इंसान बनाम जमाना ,
हाय रे ! .............
जिन गाय-भैसों से हम आपके पूर्वजों के दूध ,दही व् घी के भंडार भरे रहते थे सदैव ,,
आज उन्ही गाय-भैसों के दूध ,दही व् घी का मोहताज बना है इंसान,
हाय रे! कितना बदल गया जमाना बनाम इंसान ,
हाय रे!.........,
उस वक़्त की 100 रु ने हम आपके पूर्वजों के सारे खर्चे पूर्ण किये थे ,
और आज उन्ही खर्चों के लिए लाखों रु होने पर भी खर्च करने को मोहताज़ है इंसान,,,
हाय रे! कितना बदल गया जमाना बनाम इंसान ,,
हाय रे ! ...............….,
वो वक़्त अर दौर था जहाँ इंसान-इंसान की मदद करता था इंसान,,,
और ये वक़्त व् दौर ऐसा बीत रहा जहाँ जलता हर इंसान से इंसान,,,
हाय रे! कितना बदल गया जमाना बनाम इंसान,,
हाय रे !.............,
हम आपके पूर्वजों ने जहाँ भौतिक सुख सुविधाओं के अभाव में जिए वहीं सदैव निरोग व् हुष्ट-पुष्ट के साथ स्वस्थ रहे,,,
लेकिन आज भौतिक सुख-सुविधाओं ने परिपूर्ण तो किया इंसान साथ में दी हजारों बीमारी जिनका भंडार बना हर इंसान,,,
हाय रे ! कितना बदल गया जमाना बनाम इंसान,
हाय रे ! ................,
तब हम बड़ी थी पूर्वजों के पास अपनों को साथ लेकर अपने पन्न की तो पीढ़ियां खूब पनप बैठी ,,,
और आ ज़ हम बड़ी है अपने व्यक्तिगत जीवन से व्यक्तिगत स्वार्थ से तो पीढ़ियों को पनपाने का मोहताज बना है इंसान,,,
हाय रे ! कितना बदल गया जमाना बनाम इंसान ,,,
हाय रे !.................,
हम आपके पूर्वजों ने शादी व्याह किये पूर्ण हिदू रश्म व् पैतृक रिवाजों से तो हर रिश्ता कायम रहा ,,
और आज़ जब शादी व्याह की रश्मों ने दिखावे पन्न अपना लिया भूल कर पैतृक रश्मों को तो रिश्ते कायम रखने का मोहताज बन बैठा है इंसान,,
हाय रे! कितना बदल गया जमाना बनाम इंसान,,
हाय रे ! .........
आपका अनुज
।।

रुद्रप्रयाग जखोली विकास खण्ड का
सुदूरवर्ती क्षेत्र बाँगरपट्टी कु मुन्याँघर रैबासी,




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