अपने विचार
बड़े अनमोल है ये खून के रिश्ते ,,
इनको तू बेकार ना करना,,
मेरा हिस्सा तू ले लेना भाई पर,,
घर आँगन में दिवार ना करना,,,
बचपन बीता बड़े लाड़ दुलार से,,
इसमें तू खटाश ना करना ,,
बड़े अनमोल होते ये खून के रिश्ते ,,
घर आँगन में तू दिवार ना करना,,
लाडले होते है सभी माँ-बापों के ,,,
उनके मनों को कभी हताश ना करना,,,
होते बड़े अनमोल है ये खून के रिश्ते ,,
भाई मेरे तू घर आँगन में पर कभी दिवार ना करना,,
कभी एक परिवार हुआ करता था,,,
अब बाँट कर दो चार ना करना,,
बड़े अनमोल होते हैं ये खून के रिश्ते,,
भाई घर आँगन में तू दिवार ना करना,,,
जब हम बच्चे थे तब हम ना समझ थे,,
अब हमारे बच्चे हुए तो अपने आप को इतना समझदार ना करना,,
बड़े अनमोल होते खून के रिश्ते ,,
भाई घर आँगन में तू दिवार ना करना,,,
आज हमारे माँ -बाप व्य्या कर लाए दूसरों की बेटियां,,
उनका अपमान व् दुराचार ना करना ,,,
बड़े अनमोल होते है ये खून के रिश्ते,,,
भाई मेरे घर आँगन में तू दिवार ना करना,,,
माँ -बापों को ख़ुशी होती जब बेटों की शादी कर ,,
बहु परिवार से जुड़ती व् परिवार बड़ा होता,,
हे नादान नासमझ तू उनके मन को हताश व् लाचार ना करना,,
बड़े अनमोल होते है ये खून के रिश्ते,,,
भाई कभी भी घर आँगन में तू दिवार ना करना,,,
हँसता-खेलता परिवार टूट जाता भाई-बहु के बंट जाने से,
इसे तोड़ कर तू बेकार ना करना ,,,
बड़े अनमोल होते है ये खून के रिश्ते,,
भाई मेरे घर आँगन में तू दिवार ना करना,,
माँ-बाप के होते हुए एक नाम से जाना जाय जो परिवार ,,
बाँट कर तू उसे अलंकार ना करना,,
बड़े अनमोल होते है ये खून के रिश्ते,,,
भाई मेरे घर आँगन में तू कभी दिवार ना करना,,,
एक होने से एकता रहती थी कभी जहाँ,,,
बंट जाने से तू इसे कंगाल ना करना,,,
बाहर वाले तुम पर हक जमायेंगे,,
ऐसा काम तू बेकार ना करना,,
बड़े अनमोल होते है ये खून के रिश्ते ,,
भाई मेरे घर में तू दिवार ना करना,,,
खूब लड़ो-खूब मरो पर शोर इतना कभी ना करना,,
लोग सुने की वो लड़े है ऐसा घर की दहलीज के बाहर कभी ना करना,,,
बड़े अनमोल होते है ये खून के रिश्ते,,,
भाई मेरे घर आँगन में तू दिवार ना करना,,,
मिल-जुल कर रहना तू सदा पर माँ-बापों का नाम तू खराब ना करना,,,
खेला था जिस घर आँगन में हमारा बचपन ,,
उस घर आँगन में जन्मे बच्चों का बदला व्यवहार ना करना,,,
बड़े अनमोल होते है ये खून के रिश्ते,,
भाई मेरे घर आँगन में तू कभी दिवार ना करना,,
दिवार ना करना,
दिवार ना करना,,
आपका अनुज राधे रविन्द्र रावत (RRR)
रूद्रप्रयाग जखोली विकास खण्ड का
सुदूरवर्ती क्षेत्र बाँगर पट्टी का
मुन्याँघर कु रैबाशी
जय श्री राधे जय वासुदेव
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बड़े अनमोल है ये खून के रिश्ते ,,
इनको तू बेकार ना करना,,
मेरा हिस्सा तू ले लेना भाई पर,,
घर आँगन में दिवार ना करना,,,
बचपन बीता बड़े लाड़ दुलार से,,
इसमें तू खटाश ना करना ,,
बड़े अनमोल होते ये खून के रिश्ते ,,
घर आँगन में तू दिवार ना करना,,
लाडले होते है सभी माँ-बापों के ,,,
उनके मनों को कभी हताश ना करना,,,
होते बड़े अनमोल है ये खून के रिश्ते ,,
भाई मेरे तू घर आँगन में पर कभी दिवार ना करना,,
कभी एक परिवार हुआ करता था,,,
अब बाँट कर दो चार ना करना,,
बड़े अनमोल होते हैं ये खून के रिश्ते,,
भाई घर आँगन में तू दिवार ना करना,,,
जब हम बच्चे थे तब हम ना समझ थे,,
अब हमारे बच्चे हुए तो अपने आप को इतना समझदार ना करना,,
बड़े अनमोल होते खून के रिश्ते ,,
भाई घर आँगन में तू दिवार ना करना,,,
आज हमारे माँ -बाप व्य्या कर लाए दूसरों की बेटियां,,
उनका अपमान व् दुराचार ना करना ,,,
बड़े अनमोल होते है ये खून के रिश्ते,,,
भाई मेरे घर आँगन में तू दिवार ना करना,,,
माँ -बापों को ख़ुशी होती जब बेटों की शादी कर ,,
बहु परिवार से जुड़ती व् परिवार बड़ा होता,,
हे नादान नासमझ तू उनके मन को हताश व् लाचार ना करना,,
बड़े अनमोल होते है ये खून के रिश्ते,,,
भाई कभी भी घर आँगन में तू दिवार ना करना,,,
हँसता-खेलता परिवार टूट जाता भाई-बहु के बंट जाने से,
इसे तोड़ कर तू बेकार ना करना ,,,
बड़े अनमोल होते है ये खून के रिश्ते,,
भाई मेरे घर आँगन में तू दिवार ना करना,,
माँ-बाप के होते हुए एक नाम से जाना जाय जो परिवार ,,
बाँट कर तू उसे अलंकार ना करना,,
बड़े अनमोल होते है ये खून के रिश्ते,,,
भाई मेरे घर आँगन में तू कभी दिवार ना करना,,,
एक होने से एकता रहती थी कभी जहाँ,,,
बंट जाने से तू इसे कंगाल ना करना,,,
बाहर वाले तुम पर हक जमायेंगे,,
ऐसा काम तू बेकार ना करना,,
बड़े अनमोल होते है ये खून के रिश्ते ,,
भाई मेरे घर में तू दिवार ना करना,,,
खूब लड़ो-खूब मरो पर शोर इतना कभी ना करना,,
लोग सुने की वो लड़े है ऐसा घर की दहलीज के बाहर कभी ना करना,,,
बड़े अनमोल होते है ये खून के रिश्ते,,,
भाई मेरे घर आँगन में तू दिवार ना करना,,,
मिल-जुल कर रहना तू सदा पर माँ-बापों का नाम तू खराब ना करना,,,
खेला था जिस घर आँगन में हमारा बचपन ,,
उस घर आँगन में जन्मे बच्चों का बदला व्यवहार ना करना,,,
बड़े अनमोल होते है ये खून के रिश्ते,,
भाई मेरे घर आँगन में तू कभी दिवार ना करना,,
दिवार ना करना,
दिवार ना करना,,
आपका अनुज राधे रविन्द्र रावत (RRR)

रूद्रप्रयाग जखोली विकास खण्ड का
सुदूरवर्ती क्षेत्र बाँगर पट्टी का
मुन्याँघर कु रैबाशी
जय श्री राधे जय वासुदेव
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