जिनके घर होते***Hindi poetry written by Damayanti Bhatt

 


जिनके घर होते
उनको बेघर अच्छे नहीं लगते
पेड आंगन मैं
फलदार न भी हो
सच्ची छाया देते हैं
अगर कोई कहे कि
तुझे चांद पर भेज दें
किसी का नाम लिखने को
तो मैं अपने मां बाबा का
नाम लिख आऊंगी
जिनके घर भोजन होता
उनको भूखे नहीं दिखते
जिस आंगन बच्चे
वहां नित मेले
जिस घर दूध देती गाय
उस घर त्यौहार बतेरे
बस याद कर लेती हूं
त्यौहार
दीप जलता है
तेल और बाती दिखते कब
बस उस परम सत्ता से अरज
उसका ही नेह बरसे
कोई दो रोटी
दो बोल प्यार
को न तरसे
कोई डरे नहीं कि
कल बूढा होना है
वो इस दीवाली
न बोले न हंसे
न रोये
बस अपने अतीत के
दिन रहे गिनते
अभी कितने हैं बाकी
जो कहते हैं
मां बाबा के चले जाने से
जिंदगी अधूरी नहीं होती
सारी दुनिया भी मिल जाये
मां बाबा की कमी कभी पूरी नहीं होती
जिनके पास सब कुछ होता
जिनके मैले मन होते
उनको सरल और सहज
लोग अच्छे नहीं लगते
दमयंती

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