उत्तराखंड की लगूली, उत्तराखंड की लगूली में आभारी
महसूस कर रहे हैं.
बालकृष्ण डी. ध्यानी ने प्रकाशित किया
1 घंटेPauri, उत्तराखण्ड, भारत

गढ़वळिम रचना




जगी जवा जगी जवा
बोट धाद छों लगोणु
सुण ल्यावा हे उत्तराखडीयों
एक जुट एक मुट सोच समझी
19 अप्रेल कु बोट देण
अपणा भला समाज कि खातिर
समाज का विकास खातिर
सोच समझी देखी भाऴी
19 अप्रेल कु बोट देण
घर घर अभियान चलोण
दाना सयाणा सभी तें बतोण
अपणु बोट दया दान सी देण
19 अप्रेल बोट दान कर देण
24 साल कि ह्वेगी हिवाऴी डांडीं काठीं
बर्फ सी भी ढंकी रें जनी हिवालीं चाठीं
अब की बार हमुन ठान लेण
अपना बुथ पर बोट कर लेण
प्रत्याशी भी अच्छू भलु होयु चेदु
समाज मा चतुर चंट टंच ह्वेयु चेंदु
हमारी बोली ब्यथा समझण वाऴु चेंदु
हमुणी रोजगार देण वाऴु चेंदु
हे दिदा भुला मेरी भी सूणा
19 अप्रेल कु ठानी लेण
अपणा समाज विकास खातिर
19 अप्रेल कु बोट दि दैण
© नवीन जोशी
गौं कोट. देव मुल्क,
गढ़वाळि कविता /गीत
धूलतृण
उत्तराखंड की लगूली
UKLaguli
0 टिप्पणियाँ