हॉल अब्बा स्कूलियों Gharwali Poetry By Radhe Ravindra Rawat

 


✍हॉल अब्बा स्कूलियों✍

अब्बा स्कूलीयों का हॉल कुछ यन्न वेगीन ,,
कापी किताबों का दगड़ा दगडी सी मोबाइल लियेगीन,,
कर्ज पात करी ब्वे बाबू न पढ़णा का नौं सी स्कूल भ्येजिन,,,
नौं करी स्कूलों कु बाज़ारू कर जांगलू सी घुमण गेगीन,,,
पास व्हण की आस नि तों तें फेल जरूर सी वेगीन,,
नि पुगी शक्की ब्वे बाबु सी तौं कु जेब खर्चा,,
स्कूलों छोड़िक परदेशों कमोणा नौं सी गेगीन,,
मनमानी खर्च कन्ने की आदत बणे सी घर अजों बोडिक ऐगींन,,
बुवेल्ली व्योह करा मेक बाबा सी जन्म पत्री लियेगीन,,
बुवेल्ली बाबा न पसन्द करी आ नौंनि छवरा सी दियखण गेगीन,,
करी नौंनी पसंद भेजियों सी घर व्याखुनियों ऐगींन ,,
बुवेल्ली बाबा क व्योह दिन करीक मैकू फोन करिया,,
यथगा बुवेल्ली छवरा सी परदेशों जेगीन,,
चालीस पचासिय हजार कठा करी सी मंगसिर फन घर ऐगींन ,,
व्योह का दिन पर बरात लिजेक सी नौंनी अफरा घर सी लियेगीन,,
द्वी चार दिन काम करी पांचवां दिन बुवन्नी ब्वारी ,,
ममी पापा इतना काम हमारे बसका नही,,,
यथगा बुवेल्ली ब्वारी नुनियाल्ला दगड़ा उन्दू सी गेगीन,,,
जाणा त जेगीन भेजियों पर नौकरी त प्राइवेट वेगीन,,
जन्नू कमाई तोंन भेजियों वन्नी सी पुरोंधी गेगीन,,
वक्त यथगा व्हेगी भेजियों पचनैयी बिटिन बाळ गोपाल भी वेगीन,,,
नि व्हे सक्की छुवरों सी भेजियों घर सी परिवार अफरा सी लियेगीन,,
करी कमाई दरियों छौ बुढ़िया ब्वे बाबु कु मेहना चारिय सी तेतें खेगीन,,
फ़वंगड़ी पाटली भांजा दरी छे तोंकी भेजियों भुखन मन्ना दिन ऐगींन,,
अन्न अजों ऊगंण माँ विजांई दियेरी च भेजियों अफरा जीवन दिनों सी जट्ट रुवेगीन,,,,
✍✍✍
🙏जय श्री राधे, जय वासुदेव🙏
आपका अनुज
✍️राधे रविन्द्र रावत(RRR)
रुद्रप्रयाग जखोली का सुदूरवर्ती
पट्टी बाँगर कु मुन्याँघर रैबासी🙏

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