तुमरि सिधन्त ?Grhwali Poetry/Garhwali Gajal wrote by Payash Pokhara

 


#गढवालिम_गजल

तुमरि सिधन्त ?
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सर्या ज़िदंगि बस घाम पाणि की सिधन्त चा |
सुपिना दगड़म स्याणि गाणि की सिधन्त चा ||

सुदि लिमाणा छन सबि चखुला आगास थैं |
चोळि की बस पाणि-पाणि की सिधन्त चा ||

इनै नै-नै ब्योली दुवरु बाटु भि नि भ्यटे साकी |
उनै झणि कनै सासु जिठणि की सिधन्त चा ||

स्यळै गैन चौका-चुला फ्वाड़ौ का कब बटैकि |
शर्यूळजी की बस पव्वा पाणि की सिधन्त चा ||

खाळा म्याळा कौथिगौं का कौथिगेर कख गैनि |
अब कौथिगौं मा बौंळि बिटाणि की सिधन्त चा ||

सग्वड़ि पत्वड़ि पुंगड़ि सबि बांजि प्वड़ि छन |
बस दुकनि की ल्याणि खाणि की सिधन्त चा ||

ब्वै थैं बुथ्याणौं अचकाल गौं अयूं च "पयाश"|
टक लगै वैकि घ्यू की माणि की सिधन्त चा ||
©® पयाश पोखड़ा
पौड़ी गढ़वाळ उत्तराखंड भारत
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कम देखें
— उत्तराखंड की लगूली में प्रेरित महसूस कर रहे हैं.

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