बालकृष्ण डी. ध्यानी ने प्रकाशित किया
· 1 घंटे · Pauri, उत्तराखण्ड, भारत ·

#हिंदी_कविता
देवभूमि
राम भूमि है शिव की भूमि है पावन भूमि है देवों की ।
नदियां बहती जहां कल कल निनाद से झरने झर झर करते।।
पग पग में जिसके हो सुरम्यता , वो धरा देवभूमि उत्तराखंड की।
जिसकी पावनता है जग में, जिसके गुण गाते सारे लोग ।।
जहां धाम हैं चारो सुन्दर,बद्री,केदार यमुनोत्री अर गंगोत्री ।
वहीं कठोर तप किया , ऋषि मुनियों ने स्थित जहां आश्रम मुनि अत्रि।।
शिव भुजाओं में जहां स्थित तुंगनाथ की भूमि में ।
पुत्र विराजित हुए दूर कुछ क्रोंच गिरि की कंदराओं में।।
ये देवभूमि ये पावन भूमि, जहां देव रहते आनंदित ।
जो दर्शन करने आते यहां उनके मन हो जाते मोहित।।
वहीं दूर बैठे शिव जटाओं में कल्पेश्वर कहलाए ।
अखंड जहां तप है उनका ,वहां उनका रुप सुहाए।।
नावी जिनकी है स्थित , वो मद्महेश्वर नाम सुहाए ।
पांडव सेरा जहां सुसोभित, सबके मन को भावे ।।
स्वयं विराजित हैं पीठ जहां नंदी का केदार सभी पुकारे।
उपजी मंदाकिनी नदी सरस सरल ,सबको पावन कर जाए ।।
हर कण में देवों की अनुभूति हर क्षण देवों का ध्यान यहां ।
मन आह्लादित होता यहां आकर ,फिर भौतिक सुख का ध्यान कहां ।।
मेरी भूमि पवित्र यहां मन भी पवित्र ,यहां की हवा में भी सब सार है।
जीवन सब कठिन पूर्ण जीते ,सबके उर में ईश्वर विराजमान यहां ।।
कैलाश उप्रेती "कोमल
कैलाश उप्रेती कोमल
ग्राम - स्यूंटा जिला - चमोली पो. ओ -खैनोली
विकासखंड - नारायणबगड़
जिला - चमोली
पिन - 246444
दूरभाष -9917321848
उत्तराखंड
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देवभूमि
राम भूमि है शिव की भूमि है पावन भूमि है देवों की ।
नदियां बहती जहां कल कल निनाद से झरने झर झर करते।।
पग पग में जिसके हो सुरम्यता , वो धरा देवभूमि उत्तराखंड की।
जिसकी पावनता है जग में, जिसके गुण गाते सारे लोग ।।
जहां धाम हैं चारो सुन्दर,बद्री,केदार यमुनोत्री अर गंगोत्री ।
वहीं कठोर तप किया , ऋषि मुनियों ने स्थित जहां आश्रम मुनि अत्रि।।
शिव भुजाओं में जहां स्थित तुंगनाथ की भूमि में ।
पुत्र विराजित हुए दूर कुछ क्रोंच गिरि की कंदराओं में।।
ये देवभूमि ये पावन भूमि, जहां देव रहते आनंदित ।
जो दर्शन करने आते यहां उनके मन हो जाते मोहित।।
वहीं दूर बैठे शिव जटाओं में कल्पेश्वर कहलाए ।
अखंड जहां तप है उनका ,वहां उनका रुप सुहाए।।
नावी जिनकी है स्थित , वो मद्महेश्वर नाम सुहाए ।
पांडव सेरा जहां सुसोभित, सबके मन को भावे ।।
स्वयं विराजित हैं पीठ जहां नंदी का केदार सभी पुकारे।
उपजी मंदाकिनी नदी सरस सरल ,सबको पावन कर जाए ।।
हर कण में देवों की अनुभूति हर क्षण देवों का ध्यान यहां ।
मन आह्लादित होता यहां आकर ,फिर भौतिक सुख का ध्यान कहां ।।
मेरी भूमि पवित्र यहां मन भी पवित्र ,यहां की हवा में भी सब सार है।
जीवन सब कठिन पूर्ण जीते ,सबके उर में ईश्वर विराजमान यहां ।।
कैलाश उप्रेती "कोमल
कैलाश उप्रेती कोमल
ग्राम - स्यूंटा जिला - चमोली पो. ओ -खैनोली
विकासखंड - नारायणबगड़
जिला - चमोली
पिन - 246444
दूरभाष -9917321848
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कम देखें
— उत्तराखंड की लगूली में धन्य महसूस कर रहे हैं.
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