एगई य चोमासा-कुमाऊँनी कविता Kumawni Poetry wrote by Hem Chandra Kankhal

 


#कुमाऊँनी_कविता
एगई य चोमासा-

आण लागो माठु माठ दयो
मेरो पहाड़ों मा लागो चोमासा
जो प्राणी मुरझे गई तेज घामम,
उनार प्राण वापिस एगई य चोमासा
चोमासी बरखा आज हो ली
आण लागो माठु माठ दयो

गाड़ गध्यार सब सुकि गई ,
होण लागो गरमा...
जो लोग कनि आगो जल वायु मे परिवर्तना,
क्या उनुल देखछ मेरो पहाड़ तरफा...

हरिया - भरिया मेरो पहाड़ आज करि जाओ,
एक पेड़ जगम दस पेड़ लगे जाओ,
बरखा होली आपन समय में,
जति पेड़ होला वति बरखा ले होली
चोमासी बरखा आज हो ली
आन लागो माठु माठ दयो,

मेरो पहाड़ों मा लागो चोमासा
जो प्रणी मुरजनी गई तेज घामम,
उनार प्राण वापिस एगई य चोमासा
चोमासी बरखा आज हो ली
आन लागो माठु माठ दयो।

हेम चंद्र कनखल, हरिद्वार
स्थायी निवासी-भिकियासैण,अल्मोड़ा
उत्तराखंड भारत
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