बचपन की याद कुमाउँनी कविता Wrote By utterkhandi Poet Dayal Chandra Kanela Raunaki

 


#कुमाउँनी_कविता

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पैदल पैदल स्कूल जांछी जंगलों का बाट,
गाड़ गधेरा पार करिबै सब नान तिन साथ ।

झोला में रैंछी लकड़ै पाठी हाथ कमेडू दवाद
बचपना का दिन मकैड़ी आजिलै आनी याद ।

जानर पिसौछी अखोउ कुटौछी लकड़ा टोडौछी
रोप लगांछी धान मानुंछी मनुंवा गोड़ूंछी ।

इतवार का दिन जांछी गोरु चरांहां ग्वाला ,
ब्याव हैं क्वे लकड़ा ल्यांछी क्वे घासका डाला ।

पैरिया रैंछी पैंट उमै लागिया रैंछी टाल ,
कतिकैं हरी कतिकैं पिंगाव कतिकैं सुकिल लाल।

एकै भानमै सबै भै बैणी दगड़ै खांछी भात ,
नी मानुंछी कौंय तौ इजा लगांछी सिसौणूं पात ।

दयाल चन्द्र कनेला रौंनकी
ग्राम बिरमदेचौरी कनेला गांव
पोस्टआफिस जैरामबाखल
तहसील चौखुटिया
जिला अल्मोड़ा उत्तराखंड
पिन - 263656
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