(साभार- हिंदी-गढ़वाली-अंग्रेजी शब्दकोश - रमाकान्त बेंजवाल एवं बीना बेंजवाल। संरक्षण आधार- अरविंद पुरोहित)
गढ़वाली में अनुभूति बोधक शब्दावली
श्रमशील जीवन एवं प्रकृति का सानिध्य पहाड़ के निवासियों को भावप्रवण बना देता है। यही कारण है कि माटी से जुड़े इस जन-मन की अपनी लोकभाषा भी भावपरक शब्दावली से लकदक है। गढ़वाली में मन की विभिन्न दशाओं, आवेगों एवं अनुभूतियों को अभिव्यक्त करने वाले अनेकानेक शब्द हैं। इस शब्द भण्डार में से विविध मनोभावों को ध्वनित करने वाले कुछ शब्द इस प्रकार हैं :-
अमोखो- (घुटन, दम घुटने की स्तिथि)
उकताट- (अकुलाहट, बेचैनी)
उचाट- (उद्विग्नता)
उचामुचि- (उद्विग्नता)
उपास- (जी न लगने की स्तिथि)
एकुलांस- (अकेलापन)
कबजाळ- (दुविधा)
कळकळी- (किसी की दीन-हीन दशा अथवा कष्ट की स्तिथि को देखकर मन में उत्पन्न होने वाली दया, करुणा और कष्ट की)) मिलीजुली अनुभूति)
क्याप- (अजीब-सा)
खज्याळि- (खुजली)
खुद- (किसी प्रियजन या अपनों से दूर रहने पर होने वाली उदासी भरी व्याकुलता)
खुरखुरि- (प्रतिशोध की भावना
खेद्द- ईर्ष्या, जलन)
खोप- (अनकहा दर्द जिसका शरीर और मन पर बुरा असर पड़े)
घबळाट- (शरीर पर किसी छोटे कीट जैसे पिस्सू, खटमल आदि के चलने का एहसास)
घांटु- (भूख 'विशेषकर किसी बीमार व्यक्ति के संदर्भ में प्रयुक्त)
घुतघुति- (किसी अपूर्ण इच्छा को निरंतर स्मरण करने की अनुभूति)
घुमताळ- (गुप्त कष्ट, वेदना)
चचड़ाट- (शरीर के किसी भाग में अचानक होने वाली तीव्र पीड़ा)
चड़क- (पीड़ा की लहर)
चणचणी- (फोड़े के सूजने पर होने वाली पीड़ा)
चमराट/चिरी- (कटे या जले स्थान पर होने वाली जलन)
चमळाट- (शरीर के फोड़े वाले स्थान पर होने वाली हल्की मीठी खुजली)
चसक/चड़क- (शरीर के किसी अंग में रह-रह कर होने वाली पीड़ा)
चळकण- (चौंकने की स्थिति)
चांट- (बदले की भावना)
चाखू- (चस्का)
चिड़ंग- (झल्लाहट)
चिरड़- (नाराजगी)
छपछपी- (तृप्ति, पूर्ण संतुष्टि का भाव)
जळ्त- (जलन)
झणझणि- (त्वचा पर होने वाली घृणाजनित सरसराहट)
झमज्याट- (बिच्छू घास आदि के लगने से शरीर में होने वाली सरसराहट)
झसाक- (किसी अंग के मुड़ने या मोच आने की चुभन की पीड़ा)
झिंगराट/झिंगरी/झिड़बिड़ि- (घृणा)
झुर्याट- (आंतरिक कष्ट)
झूरण- (दुख महसूस करना)
टणक- (उत्तेजना)
टऽणि- (अंग विशेष पर ठंड से होने वाली पीड़ा)
टिटक/टिटखि- (किसी हृदय विदारक दृश्य या दीन-हीन व्यक्ति को देखकर उमड़ने वाली दया की भावना)
तीस- (प्यास)
दऽन- (चिंता)
दौंकार- (ईर्ष्याजनित क्रोध)
धुकधुकि- (निरंतर बनी रहने वाली चिंता)
धगद्याट- (किसी कारणवश मन में उत्पन्न होने वाला भय)
निसेद्द- (घुटन, दम घुटने की स्तिथि)
पराज- (पैर के तलुवों में होने वाली हल्की-सी सरसराहट जिससे यह निष्कर्ष निकाला जाता है कि कोई याद कर रहा है)
पुळ्याट- (प्रसन्नता, आल्हाद)
फिफड़ाट- (दूसरे के कष्ट से होने वाली वेदना)
बगछट- (अत्यधिक उल्लास की स्तिथि)
बबराट- (वेदना, पीड़ा)
बाडुळी- (किसी के स्मरण किए जाने पर आने वाली हिचकी)
बिखळाण- (किसी खाद्य पदार्थ से जी भर जाना)
भणभणि- (किसी पदार्थ की तीव्र इच्छा)
भिरंगी- (छोटी-सी बात पर अचानक आने वाला क्रोध)
मिमराट- (किसी नुकसान या हानि पर होने वाला उत्तेजनायुक्त कष्ट)
रफणाट- (प्रियजन की अत्यधिक याद आने पर होने वाली बेचैनी)
रणमणि- (विरह की वेदना एवं मिलन की कल्पना के साथ आने वाली प्रियजन की याद)
रौंस- (कार्य करते समय होने वाली सुखानुभूति)
सबळाट- (जूँ के सिर या शरीर पर रेंगने से होने वाली सरसराहट)
सेळी- (दर्द की तीव्रता में आने वाली कमी)
हुबलास- (उल्लास, उमंग)
(साभार- हिंदी-गढ़वाली-अंग्रेजी शब्दकोश - रमाकान्त बेंजवाल एवं बीना बेंजवाल। संरक्षण आधार- अरविंद पुरोहित)
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