माँ तेरी ज़रूरत
है
कितनी सुंदर कितनी भोली ,
मइया तेरी मुरत है ,
नैनों में बस जाना मेरे,
की मुझको तेरी ज़रूरत है।
सुन्दर मृदुल मुस्कान माँ तेरी,
सबका मन मोह लेती है ।
हृदय में बस जाना मेरे,
की मुझको तेरी ज़रूरत है ।
करुणामई माँ नेत्र ये तेरे
राह नई दिखलाते है।
यूही राह दिखलाना मइया,
की मुझको तेरी ज़रूरत है ।
बिंदिया तेरी चमकती मइया ,
मन उज्जवल कर देती है ।
सासों में बस जाना मइया ,
की मुझको तेरी ज़रूरत है ।
अष्ट भुजाएँ तेरी मइया ,
कष्टों को हर लेती है।
दिल से अपने लगा ले मइया ,
की मुझको तेरी ज़रूरत है ।
शक्ति का तुम पुंज हो मइया ,
नौ रूपों में रहती हो।
सब भक्तों पर कृपा दिखाना,
की सबको तेरी ज़रूरत है ।
स्वरचित एवं मौलिक रचना
©®
गीता पांडे
वरिष्ठ कवयित्री
पालम, नई दिल्ली
1 टिप्पणियाँ
बहुत सुंदर प्रस्तुति, सभी को शुभकामनाएं
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