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सफलता
मंजिल भी है ,राहें
भी हैं,
दुख-सुख के साये
भी हैं ।
जीवन चलने का नाम
है,
थमना गाहे-बगाहे
भी है ।
आसां नहीं मंजिल
पाना
सिर के बल चलना
पड़े।
सफलता देखी अनदेखी,
हंसाये भी है,रुलाये
भी है।
नहीं किया जा सकता
है,
सरापा दुःख - सुख
का ।
शादमानी व्यक्त
होती है,
तो महकती फ़िज़ायें
भी है।
सफलता वो शाद है
जिंदगी,
बिखरे जहां भर में
फ़रोग़ी ।
खूबसूरत होने लगे
नजारे ग़र
ये क़द, क़दम बहकाये
भी है।
रहें अपने आपे में
बुलन्दी तो,
हों फ़ना अपने परायों
के ग़म,
सहलाने लगे तपती
दुपहरी भी,
अब राहें गुलों
से सज़ाये भी है ।
विनीता मैठाणी

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