एहसास***Hindi poetry written by Damayanti Bhatt


एहसास

 

स्मृतियों के मंदिर

विरह की आरती

मन  निर्भय न  शांत

बस अपना ही दुख

अपनी ही पीडा

अधरों से छूने और

दांत चुभोने मैं

भले हुनर एक जैसा हो

एहसास  एक नहीं होता

 

दमयंती भट्ट,

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