लेकिन ऐ गीत जरूर बनेगा

उत्तराखंड की लगूली

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लेकिन ऐ गीत जरूर बनेगा

 

बस कहने की बात थी

दिल के किसी कोने से उठाकर

उन भावनाओं को

मैंने अक्षरों में पिरोकर रख दी

 

मैं  रहूं  ना रहूं लेकिन ऐ गीत जरूर बनेगा

ऐ ऐसा गीत बनेगा फूलों के संग हंसेगा

 

हवाओं में धुप सुगन्धि धुंध संग जब घुलेगी

वैसी ही मेर इस मन को तुझे देख अनुभव होगा

फूलों बैठी तितली जैसे ही ऐ गीत तुझे स्पर्श करेगा

 

स्वंय मन जब हो जाए पल्वित ना सुर ताल मांगे

मौन रहकर खुद से ही जब चुप्पी ही सब कह दे

उस धुँयें में उठती लपटों संग तब ऐ मेरा गीत जलेगा

 

कौन जाने कल क्या, कैसे और कहाँ होगा

नील आसमान में खींची , भावना ना अब मिटेगी

तेरे मन में कहीं  होगा ऐ गीत  तो ही तू  समझेगा

 

बालकृष्ण डी.  ध्यानी

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