हिन्दी । गढ़वाली । कुमाउँनी । गजल । अन्य । कवि । कवयित्री । लेख ।
आदिम
औरृ डाळा
आदिम
बेकसूर
डाळों को कुल्हड़ी न हत्या करदु
वूं
का सीरर ते इजा कैरि कि
निरदई
उघड़
मां वों को परपंच लगे देंदु
अदिमों
को राज यन हि हुंदु
भोल
डाळों कि सत्ता आळी
तब
आदिम का बि हड़गा टुटला
वों
ते बि ऊनि ई जनि उघड मा रखे जालो
वूं
का कुंटब मां कैकि मृत्यु हैव जाली त
वूं
पर हुंया अत्याचार जनि
वो
आदिम पर वो प्रयोग करला
आदिम
राज आण से पैल
हत्या
का सबूत ठिकाण लगाण धरण कला
डाळा
बि आत्मसात कैर दयाळा
जन
एक बार फिर
वूं
कि सत्ता ऐजाव
बालकृष्ण
डी. ध्यानी
1 टिप्पणियाँ
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