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क्यों? कौन जाने .....
क्यों? कौन जाने क्या हुआ
आज तुम्हारी याद बार बार आ रही है।
अपने प्यार का हर लम्हा....
क्यों? किसलिए, आँखों से बह रहा है
पता नहीं
आँखों को क्या हो गया है
जो वो आज पागलों जैसा बह रहा है
की ... तू , करीब नहीं है
उदासी कह रही है
कितना अच्छा होता
समय फिर आता तो...
अगर इसे वापस लिया जा सकता तो ...
घड़ी के कांटों उलट दिया जाता तो....
अगर दिशा ही घुमादी जाती तो ...
अगर तुम्हें
समय में बंधना आता तो ...
या .....
समय को आप में बंधना आता
तो ... हा हा हा पागल हो गया हूँ मैं
क्या बोल रहा हूँ कुछ पता नही
पर तेरे बिना ये सच है.....
ये जीवन, मैं जीवन ही नही धरता
क्यों? कौन जाने .....
बालकृष्ण डी. ध्यानी,
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