बैम

उत्तराखंड की लगूली

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बैम

 

बैम मनखि थैं कबि जींण नि देंदु

कीड़ु सि क्वरणू रैंद सींण नि देंदु।।

 

पक्यूं दुखदु सि उरगा लेंद वु भितर

बैमा गुरमुळु फर हथ खींण नि देंदु।।

 

जिकुड्यौं मा ह्वै जांद असंद-बयाळ

द्वी गफा चैन से कबि घुटेण नि देंदु।।

 

झूरी लगीं डाळि क्वरेणी रैंद भितर

लाब अर भौंटौ तैं हैरा रैंण नि देंदु।।

 

छ्व्ट्टी सि बातै बतंगण बणि जांद

आँखौं फरै पट्टी थै हटण नि देंदु।।

 

आग लगंदरु अग्या जांद मवसि

छांटु ह्वैकि अफु तैं हलेण नि देंदु।।

 

कंदुर्या चखणूं रैंद  छुयुं  ठुंगार

ताती छुयुं तैं वु स्यलेण नि देंदु।।

 

बैमा कि नी क्वी  दवै  न दारू

मंसा कु बैम  तैं मिटण नि देंदु।।

 

कन कनौं मा करे दींद माभारत

बैम मन कु मैळ छडेण नि देंदु।।

 

©®- अर्चना गौड़

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