मैं उत्तराखंड हूँ *** Hindi Poetry wrote by Rinku Purohit


उत्तराखंड की लगूली

मैं उत्तराखंड हूँ

नदियाँ पहाड़ हैं शान मेरी
मैं हरा भरा सा एक प्रदेश हूँ
देवभूमि सब कहते मुझे
मै उत्तराखंड हूँ “

खो रही अब पहचान मेरी
कटते पेड़ ले रहे जान मेरी
अब चंद वर्षों का बचा खेल हूँ
मैं उत्तराखंड हूँ

ये जो नोच नोच मुझे खा रहे
ये सब इंसान हैं कातिल मेरे
इनकी महत्वाकांक्षा की चढ़ती भेंट हूं
मैं उत्तराखंड हूँ

कहीं मेरे पहाडों को काट रहे
कहीं मेरी नदियों को बाँट रहे
अब बन रहा मैं बंजर खेत हूँ
मैं उत्तराखंड हूँ

अपनी बदहाली पर रो रहा हूँ
तुम इंसानों की खबाहिशें ढो रहा हूँ
मेरी नदियाँ नाले सब सूख रहे
पल-पल मुझे सब कोस रहे

अब तो रूक जाओ मैं कह रहा हूँ
बख्श जो मुझको कब से सह रहा हूँ
अब बचा लो मुझे जितना बचा शेष हूँ
मैं तुम्हारा अपना उत्तराखंड हूँ

©® रिंकू पुरोहित
कमेडा नंदप्रयाग चमोली
उत्तराखंड

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