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जीवन का स्यारा
बगत
का घामम
भदौड़ा
बांणू छौ ।
जीवन
कु माटू
हरकाणूँ
फरकाणूँ छौ ।।
कटगड़ा
ह्वे गीं जीवन का
पंगीला
पुंगड़ा भैजी ।
जीवन
मा खुशियों की
कूल
पैटाणूँ छौ ॥
देखि छै ब्वे बाबू का पीठम
खुशियों
की लकदक फसल ।
वै
बीज थै आज
मी
भि खुज्याँणू छौ ॥
सुचणूं
छौ नै पीढ़ी खुंणे
कुछ
भल्लु ह्वे जा
इलै
आज व्याळि अपणाँ ।
हड़गा
तुड़ाणू छौ
अफि
बळ्द अफि हळ्या
अफु
थै अफि हकाणूँ छौ ॥
हर
दिन नै फसल का बाना
पुँगडि
बाँणू छौ ।।
जीवन
का पुंगड्यूँ मा
भदौडा
बाँणू छौ ॥
संदीप
गढ़वाली©®
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