काश! भ्रष्टाचार न होता

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  काश! भ्रष्टाचार न होता


काश !भ्रष्टाचार न होता।

अमीर अमीर न होता।

गरीब गरीब न होता।।

गरीबी की ठिठुरन न होती।

अमीरी की ऐंठन न होती।।

ऊँच नीच का भेद न होता।

भूखा पेट कोई न सोता।।

       काश ! भ्रष्टाचार न होता।......

 

ठिठुर ठिठुर कर कोई न मरता।

मानवता भी जिंदा होती।

साथ में नैतिकता भी होती।

रोजगार हर हाथ में होता।

शिक्षा पर अधिकार भी होता।।

       काश !भ्रष्टाचार न होता।......

 

सूखे नलों में पानी होता।

किचड़ भरी न गलियाँ होती।।

उपचार उचित सभी को मिलता।

बिन डाक्टर अस्पताल न होता।।

जीवन में आशाँऐं बँधती।

सदा राहों में सफलता सजती।।

सुविधाऐं हैं मूलभूत जो।

होती न इनकी भी लड़ाई।।

गाँव शहर खुशहाल भी होता।

सबका सपना पूरा होता।।

          काश !भ्रष्टाचार न होता।... 

 

रचनाकार -भुवन बिष्ट

रानीखेत (उत्तराखंड )

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