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डांड्यूं
का पार
डांड्यूं
का पार देखा हपार,
मुल
हैंसि द्यखणू सूरिज बार-बार।
आवा
रै देखा रौंतेळू पहाड़,
बोण
बुग्या़ळ हैरी भैरी सार।
घिंडुड़ी घुघूती बसणी थाड़ौं
मा,
औ दगड़्या आ म्यारा पाड़ौं
मा।
मिटि जाली तेरी पळेख दिदा,
ऐकी त देख जरा एक बार।
चौछोड़ी
फूल खिल्यां छन डांडौं मा,
घ्वीड़
काखड़ छन बैठ्यां चांठौं मा ।
गौड़ी
बाछ्यूं कि लगीं लंगत्यार,
बखरा
ढ्यबरौं कि देख टोली हपार ।
तामै तमोळी कू ठंडु पाणी पेजा,
छोया मंगर्यूं कू मिट्ठु पाणी पेजा।
बांजै जड़्यूं की रसिलि रसधार,
घैंणी कुळैयूं की ठंडी फुहार।
©®विवेकानंद
जखमोला शैलेश
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