आ जाओ ना

उत्तराखंड की लगूली

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 आ जाओ ना


मौसम है  सुहाना

न कर  बहाना 

रिमझिम  बरखा  में

तुम  आ जाओ ना |

 

देखो  झूँम  के  सावन  आया

घटा ने  झूँम-झूँम  कर  जल  बरसाया

विरह  के  इस  बिछोह को

अब बढ़ाओ  ना

   जाओ  ना |

 

झिरमिर_झिरमिर तेरे  नयनों से

खूब बहें

थें  आँसू भी

अब हुआ मौका  मिलन  का 

थोड़ा  तो  मन  बहलाओ  ना

कोई  गीत  गाओं  ना |

 

कोई  बंधन  है क्या तेरे  मेरे  बीच  में 

तड़प ही है क्या   प्यार  के  रीत  में

तपते  धरा  पर शीतल बूँदो  की  तरह 

गिर  जाओं  ना

समीप    आओ  ना |

 

उत्तम सिंह  पुंडीर

 

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