हिन्दी । गढ़वाली । कुमाउँनी । गजल । अन्य । कवि । कवयित्री । लेख ।
मौसम
है सुहाना
न
कर बहाना
रिमझिम बरखा में
तुम आ जाओ ना |
देखो झूँम के सावन आया
घटा
ने झूँम-झूँम कर जल बरसाया
विरह के इस बिछोह को
अब
बढ़ाओ ना
आ जाओ ना
|
झिरमिर_झिरमिर
तेरे नयनों से
खूब
बहें
थें आँसू भी
अब
हुआ मौका मिलन का
थोड़ा तो मन बहलाओ ना
कोई गीत गाओं ना |
कोई बंधन है
क्या तेरे मेरे बीच में
तड़प
ही है क्या प्यार के रीत में
तपते धरा पर
शीतल बूँदो की तरह
गिर जाओं ना
समीप आओ ना
|
उत्तम
सिंह पुंडीर
0 टिप्पणियाँ