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काश
काश
!
समझना
, समझाने जैसा आसान होता
तो
ज़िन्दगी जीना कितना आसान होता ।
ना
कोई अपना ना कोई पराया होता
ना
कोई छोटा ना कोई बड़ा ही होता
ना
कोई अमीर ना कोई गरीब होता
ना
कोई राजा ना कोई रंक ही होता ।
काश
!
समझना
, समझाने जैसा आसान होता
तो
ज़िन्दगी जीना कितना आसान होता ।
ना
भाई -भाई में कोई विवाद होता
ना
जायजाद के कारण झगड़ा होता
ना
माँ -बाप का बँटवारा ही होता
ना
वृध्दजनों का निरादर होता ।
काश
!
समझना
, समझाने जैसा आसान होता
तो
ज़िन्दगी जीना कितना आसान होता ।
ना
अहम् का जनम होता
ना
वहम मन में पनपता
ना
सच यूँ लाचार होता
ना
झूठ का कारोबार फलता ।
काश
!
समझना
, समझाने जैसा आसान होता
तो
ज़िन्दगी जीना कितना आसान होता ।
मौलिक
रचना (स्व रचित )
बिमला
रावत (ऋषिकेश )
उत्तराखण्ड
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