काश

उत्तराखंड की लगूली

हिन्दी   ।  गढ़वाली ।  कुमाउँनी  ।  गजल  ।  अन्य  ।  कवि  ।  कवयित्री  ।  लेख  ।

 उत्तराखंड देवभूमि  I अनछुई सी तृप्ति  I  ढुंगा - गारा  I  आखर - उत्तराखंड शब्दकोश  I उत्तराखंड I गढ़वाली शब्दों की खोज कुमाउनी शब्द संपदा I उत्तराखंडी यू ट्यूब I  कवितायें I कुमाउनी शब्द संपदा I उत्तराखंडी यू ट्यूब I उत्तराखंड संस्कृतिकवितायें 


काश

 

काश !

समझना , समझाने जैसा आसान होता

तो ज़िन्दगी जीना  कितना आसान होता ।

ना कोई अपना ना कोई पराया होता

ना कोई छोटा ना कोई बड़ा ही होता

ना कोई अमीर ना कोई  गरीब होता

ना कोई राजा ना कोई रंक ही होता ।

 

काश !

समझना , समझाने जैसा आसान होता

तो ज़िन्दगी जीना कितना आसान होता ।

ना भाई -भाई  में कोई  विवाद होता

ना जायजाद के कारण झगड़ा होता

ना माँ -बाप का बँटवारा ही होता

ना वृध्दजनों  का निरादर  होता ।

 

काश !

समझना , समझाने जैसा आसान होता

तो ज़िन्दगी जीना कितना आसान होता ।

ना अहम् का जनम होता

ना वहम  मन में पनपता

ना सच यूँ  लाचार होता

ना झूठ का कारोबार फलता ।

 

काश !

समझना , समझाने जैसा आसान होता

तो ज़िन्दगी जीना कितना आसान होता ।

 

मौलिक रचना (स्व रचित )

बिमला रावत (ऋषिकेश )

उत्तराखण्ड

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ