टिमटिमाते तारे

उत्तराखंड की लगूली

हिन्दी   ।  गढ़वाली ।  कुमाउँनी  ।  गजल  ।  अन्य  ।  कवि  ।  कवयित्री  ।  लेख  ।

 उत्तराखंड देवभूमि  I अनछुई सी तृप्ति  I  ढुंगा - गारा  I  आखर - उत्तराखंड शब्दकोश  I उत्तराखंड I गढ़वाली शब्दों की खोज कुमाउनी शब्द संपदा I उत्तराखंडी यू ट्यूब I  कवितायें I कुमाउनी शब्द संपदा I उत्तराखंडी यू ट्यूब I उत्तराखंड संस्कृतिकवितायें 

टिमटिमाते तारे

 

आसमान चांदनी और सुंदर नदी

टिमटिमाते तारों की क्या पाठशाला  होती हैं कंही

 

देखकर उनको यूँ निर्भीक रातों   में खेलते  हुये

अंधकार से यूँ  आंख मिचौलि कर मचलते हुए

 

रोशन चांदनी देख रात में खुल जाता कोई

घर के आँगन  रोज खिले जैसे रातरानी शर्माती हुई

 

चंदामामा बहुत गप्पी  नाहक ही तंग करता है

कभी पतला तो  कभी वो मोटासा  हो जाता है

 

खेलते खेलते उनमें एक चांदनी रूठ जाती कोई

गालों को फुलाकर आकाश से सीधे निचे उड़ी लेती सूंई

 

ऐसे खुराफ़ाती चांदनी से ईर्ष्या होती है मुझे

दिन मिले सोने के लिए , संग मुलायम बादलों के  झुले

 

बालकृष्ण डी. ध्यानी

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ