ज़िकुड़ा मा खड़्वळा गैरा

उत्तराखंड की लगूली

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ज़िकुड़ा मा खड़्वळा गैरा

 

ज़िकुड़ा मा खड़्वळा गैरा हुयां छन ।

दरद-पिड़ा थैं सुणदरा बैरा हुयां छन ।।

 

ब्याळि तक छाया जो अपणा खास ।

आज अचाणचक ऐरा गैरा हुयां छन ।।

 

सुरम्यळि आंख्यूं की करळि नज़र छे ।

काजोळ आंखा किलै कैरा हुयां छन ।।

 

आग-अग्यौं धुवां-धुवांरोळ च चौतर्फी ।

स्यूं डांडि-कांठ्यूं का घौ हैरा हुयां छन ।।

 

कैन मिसाणै अब ज़िकुड़ौ फर बीड़ा ।

अब त आदिम उजड़्यां पैरा हुयां छन ।।

 

सरबळ्या बण्यां रैंदा छाया जो 'पयाश'।

वो चुपचाप खड़ा कैका डैरा हुयां छन ।।

 

©® पयाश पोखड़ा

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