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किसमत मा
किसमत मा सूरज ना घाम राई ।
छैल त भागम बस बरैनाम राई ।।
अंध्यरा मा जपकाणु छौं जिंदगि ।
न उज्यळु म्यारु क्वी काम आई ।।
आळि-झाळ्यू मै छे जिंदगि सदनि ।
बस तिथाण मै जैकि आराम आई ।।
ज़िकुड़ा का घौ मौळ्ये त जाला पर ।
कळ्यजा की खोट तुमरा नाम राई ।।
ज़िंदगि थैं पछतौ दींणा रौं सदनि ।
मौत भि मौत खुणै बदनाम ह्वाई ।।
पियार पिरेम से पूछि ल्हे तू 'पयाश' ।
पयाश कभि पयाश का काम आई ।।
©® पयाश पोखड़ा
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