निसतोळ जिंदगि

उत्तराखंड की लगूली

हिन्दी   ।  गढ़वाली ।    ।  गजल  ।  अन्य  ।  कवि  ।  कवयित्री  ।  लेख  ।

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निसफ़िकर निझरक निसतोळ जिंदगि |

सैंती पळि डाळि ह्वै ग्याई अवोळ जिंदगि |

 

इनै उनै जनै सुणा घ्याळ घपला हुयूं चा |

चुप किळै छे चुची कुछ तू भि बोल जिंदगि ||

 

छ्यूंति सि छटगि गैन अजकाल रिस्ता भि |

छिल्ला छिलबट सि यूंथैं भि बटोळ जिंदगि ||

 

अमलट्या मुछ्यळु जन ज़िकुड़ि धुवां धुवां |

रंगणा की थुपड़ि थैं अब नि खरोळ जिंदगि ||

 

गौं गौं का द्वार मोरु फर संगुळा लग्या छन |

टक लगैकि घार बौड़लि आज भोळ जिंदगि ||

 

ट्वकै ट्वकरा गाळि रैन भाग मा सर्या उमर |

मौळ्यां घौ बेरि-बेरी फेरि नि ठसोळ जिंदगि ||

 

सुरम्यळि आंख्यूं मा माया ख्वज्दा रौं सदनि |

कभि मायादार ज़िकुड़ि थैं भि टटोळ जिंदगि ||

 

ऐना मा बस त्यारु हि छैल दिखेणु चा "पयाश" |

सच ब्वलणा मा अब क्यांकु घंघतोळ जिंदगि ||

 

@ पयाश पोखड़ा

 

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