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स्वीणौं मा आणि-जाणि
स्वीणौं मा आणि-जाणि,अब को लुकांद ।
आंख्यूं-आंख्यूं मा पाणि,अब को लुकांद ।।
च्यूड़ा अर कौणि की खौंखाळ का दगड़ ।
काठी अखोड़ा की दाणि,अब को लुकांद ।।
दुन्यां की सिक्कासैरि त करण हि प्वड़दीं ।
घारम बौड़ि बेटी बौराणि,अब को लुकांद ।।
ठ्यलेणा छन दिन-रात जनि भि ठ्यलेणा ।
या जिंदगि राइ तंगत्याणि,अब को लुकांद ।।
ऐ जंदि तुमरि भि छुवीं बथा सेकंत-संग्रदि ।
बेरि-बेरि तेरि खुद पुराणि,अब को लुकांद ।।
बैठा कभि दगड़म आवा हमरा ध्वार-धरम ।
तुमरा बांठा की च्या-पाणि,अब को लुकांद ।।
बांजा-बंजर हुयां छन गौं का स्यारा-पुंगड़ा ।
हे घुघती त्यारु दाणापाणि,अब को लुकांद ।।
नवळि पंद्यरौं मा कभि उज्यळा अंध्यरौं मा ।
तेरि चुपचाप आणि-जाणि,अब को लुकांद ।।
जून सि मुखड़ि पर पुरणमस्या टक सबुकि ।
जुनख्यळिम स्याणि-गाणि,अब को लुकांद ।।
ज़िकुड़ि का गीत तुमरि कल्यजि की गज़ल ।
'पयाश' मा छे तू ल्यखाणि,अब को लुकांद ।।
©® पयाश पोखड़ा
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