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काचि कछड़ि्यूं की छुवीं बत्था छवां हम ।
लिंडर्या छ्वारा की बिसरीं कथा छवां हम ।।
पंद्यरि भि दूर अर गगरि कस्यरि फुटीं छन ।
यूं पणसरौं की आंदि जांदि घत्ता छवां हम ।।
कखि भपळि चड़िं कखि उस्यईं च जिंदगि ।
मौनौं की पेतण अनगरु को छत्ता छवां हम ।।
काचा किनग्वड़ौ मा सुखाणा रैं लोग हमथैं ।
सिक्कासैर्यूं मा द्वि सेर चार पथा छवां हम ।।
कभि माळु तिमलौं का डाळौं मा हैंसदा रौं ।
अबरि जुठ्ठा पतळौं का रुंदा पत्ता छवां हम ।।
जो सदनि सर्या दुन्या का खैड़ा खाणु राया ।
वी निख्वर्या बरमंड कपाळ मत्था छवां हम ।।
धौ संदकै जिंदगि की नांग ढकांणा का बाना ।
कुतरण्यां सि अदरण्यां लारा लत्ता छवां हम ।।
त्यारा द्विया हथु थैं कब मील क्वी काम यख ।
"पयाश"तबि त अजकाल इकहत्था छवां हम ।।
©® पयाश पोखड़ा
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