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अपणि फौक्यूं बटैक
अपणि फौक्यूं बटैक जो झैड़ जांद ।
आज न त भोळ वो पात सैड़ जांद ।।
सूनी डिंड्याळि अर रीता कूड़ो की ।
एक न एक दिन पौ बुन्याद रैड़ जांद ।।
सिरड़ नि करणि न कैमा रुसाण चैंद ।
बेबाता को गुस्सा अपणि जैड़ खांद ।।
जुनख्याळि रात्यू की य जून दगड़्या ।
खौळ्यां खयालु की चांदण तैड़ जांद ।।
माया को मुंडारो भि यकसार नि हूंदो ।
सुबेर त उतरि जांद ब्यखुनि चैड़ जांद ।।
सुरम्यळि आंख्यूं मा अक्वैकि देखि तू ।
करळि नज़र म बस खैड़ हि खैड़ रांद ।।
तुमन द्याख हमथैं न हमन द्याख तुमथै ।
कभि-कभि आंखि सुदि-सुदि लैड़ जांद ।।
उलखणि अनपड़ अंग्वठा टेक 'पयाश' ।
जिकुड़ि मा लिखीं बाराखड़ि पैड़ जांद ।।
©® पयाश पोखड़ा
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