अपणि फौक्यूं बटैक

 

उत्तराखंड की लगूली

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अपणि फौक्यूं बटैक

 

अपणि फौक्यूं बटैक जो झैड़ जांद ।

आज न त भोळ वो पात सैड़ जांद ।।

 

सूनी डिंड्याळि अर रीता कूड़ो की ।

एक न एक दिन पौ बुन्याद रैड़ जांद ।।

 

सिरड़ नि करणि न कैमा रुसाण चैंद ।

बेबाता को गुस्सा अपणि जैड़ खांद ।।

 

जुनख्याळि रात्यू की य जून दगड़्या ।

खौळ्यां खयालु की चांदण तैड़ जांद ।।

 

माया को मुंडारो भि यकसार नि हूंदो ।

सुबेर त उतरि जांद ब्यखुनि चैड़ जांद ।।

 

सुरम्यळि आंख्यूं मा अक्वैकि देखि तू ।

करळि नज़र म बस खैड़ हि खैड़ रांद ।।

 

तुमन द्याख हमथैं न हमन द्याख तुमथै ।

कभि-कभि आंखि सुदि-सुदि लैड़ जांद ।।

 

उलखणि अनपड़ अंग्वठा टेक 'पयाश' ।

जिकुड़ि मा लिखीं बाराखड़ि पैड़ जांद ।।

 

©® पयाश पोखड़ा

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