हिन्दी । गढ़वाली ।
। गजल । अन्य । कवि । कवयित्री । लेख ।
उत्तराखंड देवभूमि I अनछुई सी तृप्ति I ढुंगा - गारा I आखर - उत्तराखंड शब्दकोश I उत्तराखंड I गढ़वाली शब्दों की
खोज I कुमाउनी शब्द संपदा I उत्तराखंडी यू ट्यूब I कवितायें I कुमाउनी शब्द संपदा I उत्तराखंडी यू ट्यूब I उत्तराखंड संस्कृतिI कवितायें
ज़िकुड़ि कल्यज़ि
ज़िकुड़ि कल्यज़ि भलिकै निचोड़ि ग्याई वो ।
ल्वै की एक बूंद भि जरा नि छोड़ि ग्याई वो ।।
फूल पत्यूं दगडा़ गज़ब की दुसमनै च वैकी ।
डाळि-बोट्यूं बटैकि कुटमणा तोड़ि ग्याई वो ।।
तुमरा सौं खैकि सुबेर ल्हेकि भाजिगे छौ जो ।
तुमरा हि सौं खैकि रुम्कां घनै बौड़ि ग्याई वो ।।
अजकाला लोगु थैं खुद भि कख लगद बल ।
द्वि भटुळि चार पराज लगैकि दौड़ि ग्याई वो ।।
अधमिरा लोग बाग अर अधमिरि सि जिंदगि ।
रीता रिश्तौं दगड़ भ्वर्यां नाता जोड़ि ग्याई वो ।।
हिटले जै बाटा भि हिटदी या तेरि मरजी चा ।
तबि त मीथैं यखुलि चौबट्टम छोड़ि ग्याई वो ।।
जिंदगि की झूटि सच्चै बस इतगै च "पयाश"।
कखिम माटु कखिम रंगुणु लपोड़ि ग्याई वो ।।
©® पयाश पोखड़ा
0 टिप्पणियाँ